इसके साथ ही आबे ने देश की 12 करोड़ आबादी को एक-एक लाख येन (करीब 71 हजार 500 रुपये) नकद देने की घोषणा की है।
उन्होंने कहा कि आपातकाल का विस्तार करने का उद्देश्य लोगों की आवाजाही को कम करना और 80 प्रतिशत सामाजिक दूरी के लक्ष्य को हासिल करना है।
आबे ने सात अप्रैल को सीमित आपाकाल की घोषणा की थी जो तोक्यो और छह अन्य प्रीफेक्चर (जिलों) में लागू थी जहां पर संक्रमण फैलने का सबसे अधिक खतरा था। उन्होंने इन क्षेत्रों के लोगों से घर में ही रहने का अनुरोध किया था लेकिन बाद में इसका विस्तार पूरे देश में कर दिया।
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस पर आबे के कदम की आलोचना हो रही थी और आरोप लग रहे थे कि सरकार बहुत धीमी और ढीली कार्रवाई कर रही है। कई स्थानीय नेताओं ने अपने क्षेत्रों को उस सूची में शामिल करने की मांग की थी जहां पर आपातकाल लागू हैं। वहीं कई नेताओं ने अपने स्तर पर राज्य में आपातकाल की घोषणा की थी, जो दुलर्भ घटनाक्रम है और आबे के प्रति निराशा को प्रदर्शित करता है।
आबे आर्थिक प्रभाव के चलते कठोर कदम उठाने को अनिच्छुक दिख रहे थे।
उल्लेखनीय है कि जापान में दुनिया की सबसे वृद्ध आबादी रहती है और यहां कोरोना वायरस से संक्रमण के 9,000 से अधिक मामले सामने आए हैं जिनमें तोक्यो के नजदीक खड़े क्रूज जहाज में सवार करीब 700 संक्रमित शामिल हैं। जापान में अबतक कोविड-19 से करीब 150 लोगों की मौत हुई है।
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