नयी दिल्ली, 20 अक्टूबर दिल्ली में ठंड के दस्तक के साथ ही राष्ट्रीय राधानी सभी प्रकार के प्रदूषण की जकड़ में आती जा रही है और शहर में वायु की गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में बनी हुई है।
हालांकि, एक नवीनतम अनुसंधान के अनुसार, पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष पराली जलाने की दर में कमी आई है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार रविवार शाम चार बजे 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 277 दर्ज किया गया।
दिल्ली के 35 निगरानी केंद्रों में से 14 ने वायु गुणवत्ता को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया, जबकि शनिवार को यह संख्या 11 थी।
इन केंद्रों में आनंद विहार, बवाना, द्वारका, जहांगीरपुरी, मुंडका, नरेला, पटपड़गंज, रोहिणी, शादीपुर, सोनिया विहार और वजीरपुर शामिल हैं।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए केंद्र की निर्णय सहायता प्रणाली के अनुसार, दिल्ली के वायु प्रदूषण में परिवहन से होने वाले उत्सर्जन का योगदान लगभग 9.69 प्रतिशत है।
इस बीच, शनिवार को उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में पराली जलाने की 45 घटनाएं, हरियाणा में 15 और उत्तर प्रदेश में 30 घटनाएं दर्ज की गईं।
आंकड़ों के मुताबिक 15 सितंबर से 19 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की कुल 2,733 घटनाएं दर्ज की गईं। इनमें से पंजाब में 1,393, हरियाणा में 642, उत्तर प्रदेश में 687 और दिल्ली में 11 मामले सामने आए।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)कानपुर के प्रोफेसर एस. एन. त्रिपाठी के नेतृत्व में किए गए एक नवीनतम अध्ययन के अनुसार, पिछले सप्ताह दिल्ली की वायु गुणवत्ता में गिरावट देखी गई है, तथा एक्यूआई लगातार ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज किया जा रहा है।
वायु गुणवत्ता में यह गिरावट पिछले तीन हफ्तों में अपेक्षाकृत बेहतर वायु गुणवत्ता की संक्षिप्त अवधि के बाद आई है। विशेषज्ञ प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के लिए मौसमी बदलावों और पराली जलाने में वृद्धि को जिम्मेदार मान रहे हैं।
अध्ययन के मुताबिक पराली जलाने की घटनाओं में पिछले पांच वर्षों में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में लगातार कमी आ रही है।
अध्ययन में कहा गया है कि पिछले महीने दिल्ली की वायु गुणवत्ता लगातार खराब होती गई, केवल 27 सितंबर से 29 सितंबर के बीच पीएम 2.5 का मान राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) से नीचे दर्ज किया गया।
इस छोटी सी अवधि के बाहर, वायु की गुणवत्ता स्वीकार्य मानकों से ऊपर बनी रही है, तथा प्रत्येक दिन और अधिक खराब होती जा रही है।
अध्ययन में कहा गया है कि हाल के वर्षों में, पीएम 2.5 की सांद्रता लगभग 500 µग्राम प्रति घन मीटर³ तक पहुंच गई है, जबकि इस अवधि के दौरान 24 घंटे के आधार पर पीएम 10 का स्तर 700 ग्राम प्रति घन मीटर से अधिक हो गया है।
पीएम 2.5 उन सूक्ष्म कणों को कहते हैं जो शरीर में गहराई तक प्रवेश कर जाते हैं और फेफड़ों तथा श्वसन मार्ग में सूजन पैदा कर सकते हैं, जिससे कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली सहित हृदय और श्वसन संबंधी समस्याओं का खतरा पैदा होता है।
अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में पीएम 2.5 का स्तर पहले से ही लगभग 110 µग्राम प्रति घन मीटर है और आने वाले सप्ताहों में यह आंकड़ा बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाएंगी।
सर्दियों के महीनों के दौरान, दिल्ली को गंभीर प्रदूषण का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति कई कारणों से उत्पन्न होती है जैसे हवा की कम गति, गिरता तापमान, उच्च नमी का स्तर और प्रदूषण कणों की उपस्थिति, जो संघनन के लिए सतह के रूप में कार्य करते हैं।
मौसम विभाग के मुताबिक सर्दियों के करीब आने के साथ ही दिल्लीवासियों को सुबह और शाम के समय हल्की ठंड का एहसास होने लगा है। रविवार को अधिकतम तापमान 35.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 3.2 डिग्री अधिक है।
विभाग ने बताया कि दिन के दौरान आर्द्रता का स्तर 63 प्रतिशत से 91 प्रतिशत के बीच रहा।
मौसम विभाग के अनुसार सोमवार को आसमान साफ रहने की संभावना है।अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमश: 36 डिग्री सेल्सियस और 18 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है।
मानकों के मुताबिक शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच को ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच को ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच को ‘खराब’, 301 से 400 के बीच को ‘बहुत खराब’ तथा 401 से 500 के बीच को ‘गंभीर’ माना जाता है।
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