विदेश की खबरें | जलवायु को स्थिर करने की योजनाएं उभरती कार्बन हटाने की प्रौद्योगिकी पर निर्भर
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

सिडनी, आठ दिसंबर (द कन्वरसेशन) जीवाश्म ईंधन से वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि होना जारी है और 2024 सबसे गर्म वर्ष रहने की संभावना है।

यह तेजी से स्पष्ट होता जा रहा है कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए उत्सर्जन को कम करने और उद्योग को कार्बन मुक्त करने के मौजूदा प्रयासों से कहीं अधिक करने की आवश्यकता होगी। हमें वायुमंडल से भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने की भी आवश्यकता है, जो प्रति वर्ष 7-9 अरब टन है।

जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) का कहना है कि वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर ‘नेट जीरो’ लक्ष्य हासिल करने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) हटाने की तकनीक की आवश्यकता होगी। अर्थात, सीओ2 हटाये बिना ‘नेट जीरो’ नहीं हो सकता, क्योंकि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कहीं भी कमी नहीं आ रही है।

इसके लिए कुछ समझौते भी होंगे, क्योंकि सीओ2 को हटाने में अधिक खर्च आ सकता है और इसमें अक्सर ऊर्जा, पानी और भूमि का उपयोग होता है। लेकिन पृथ्वी जलवायु आपदा की ओर बढ़ रही है, वर्तमान वैश्विक नीतियों के तहत तीन डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान बढ़ रहा है। हमें आपदा को टालने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए, जिसका अर्थ है कि जितना संभव हो सके उत्सर्जन में कटौती करना और शेष उत्सर्जन को हटाना।

हमें कार्बन डाइऑक्साइड हटाने की आवश्यकता क्यों है?

कार्बन डाइऑक्साइड हटाने से प्राकृतिक प्रक्रियाएं तेज होती हैं, जैसे पेड़ों, चट्टानों, मिट्टी और समुद्र में कार्बन का भंडारण। यह ‘कार्बन कैप्चर’ और भंडारण से अलग है, जो वायुमंडल में प्रवेश करने से पहले कार्बन को हटाने का प्रयास करता है।

तो हम कितने कार्बन डाइऑक्साइड की बात कर रहे हैं? प्राधिकरण के अनुसार, सदी के मध्य तक यह लगभग 13.3 करोड़ टन प्रति वर्ष होगा। इसका मतलब है कि अगले 25 वर्षों में अरबों टन अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड को हटाया जाएगा।

हमें किन प्रौद्योगिकियों की जरूरत है?

अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय कार्बन डाइऑक्साइड हटाने की तकनीकों को ‘‘पारंपरिक’’ (प्रकृति-आधारित) और ‘‘नवीन’’ (नये) दृष्टिकोणों में विभाजित करता है।

पारंपरिक प्रौद्योगिकियां जैविक प्रक्रियाओं पर निर्भर करती हैं, जैसे पेड़ लगाना, मिट्टी में कार्बन का स्तर बढ़ाना और मैंग्रोव वन जैसे तटीय पारिस्थितिकी तंत्रों में कार्बन भंडार बढ़ाना। कार्बन आमतौर पर एक दशक से लेकर एक सदी तक के छोटे समय-सीमा में संग्रहीत किया जाता है।

दुर्भाग्य से, इनमें से कई प्राकृतिक कार्बन भंडार पहले से ही संतृप्त हो रहे हैं। बदलती जलवायु के कारण और प्रभाव पड़ेगा। उदाहरण के लिए, जंगल की आग से हर साल अरबों टन कार्बन डाइऑक्साइड वापस वायुमंडल में पहुंच रही है।

‘नेट जीरो’ उत्सर्जन तक पहुंचने के लिए, दुनिया को वायुमंडल से बड़े पैमाने पर सीओ2 को हटाने के लिए अधिक टिकाऊ तरीके खोजने की आवश्यकता होगी। इसी में नयी प्रौद्योगिकियां काम आती हैं।

संभावित नुकसान से बचना

सभी तकनीकों की तरह, कार्बन डाइऑक्साइड हटाने में भी संभावित जोखिम और नुकसान शामिल हैं।

कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने से पर्यावरण पर भी असर पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, पेड़ लगाने जैसे कुछ तरीके पानी और जमीन के लिए कृषि या जैव विविधता संरक्षण के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। जलवायु परिवर्तन से यह चुनौती और भी जटिल हो जाती है।

ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया भर के 30 देशों में स्वदेशी लोगों के एक वैश्विक सर्वेक्षण में जलवायु हस्तक्षेप प्रौद्योगिकियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण पाया गया। हालांकि, यह केवल एक शुरूआत है। कार्बन डाइऑक्साइड हटाने के विशिष्ट तरीकों के संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर अधिक सहभागिता की आवश्यकता है।

कार्बन डाइऑक्साइड को हटाना अब बहुत जरूरी है, साथ ही उत्सर्जन में कमी लाना भी बहुत जरूरी है। अगर हमें भविष्य की पीढ़ियों के लिए धरती को बचाना है तो हमें कार्बन डाइऑक्साइड को हमेशा के लिए हटाने की दिशा में काम करना होगा।

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