फाइजर का कोविड-19 रोधी टीका ‘ओमीक्रोन’ स्वरूप के खिलाफ आंशिक सुरक्षा प्रदान करता है: अध्ययन
फाइजर वैक्सीन (Photo Credits: Wikimedia Commons)

जोहानिसबर्ग (द.अफ्रीका), 8 दिसंबर : कोरोना वायरस के नए स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ के खिलाफ फाइजर का कोविड-19 रोधी टीका आंशिक सुरक्षा प्रदान करता है. एक प्रयोगशाला के अध्ययन में यह बात सामने आई है. अध्ययन का अभी विशेषज्ञों ने मूल्यांकन नहीं किया है. मंगलवार को इसे वेबसाइट ‘मेडरेक्सिव’ पर साझा किया गया. अध्ययन में यह भी पाया गया कि उन लोगों में काफी प्रतिरोधक क्षमता अधिक बनी, जिन्होंने टीके की दोनों खुराक ली थी और जो संक्रमित हो चुके थे. कोरोना वायरस के नए स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ की पहचान सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने की थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे ‘चिंताजनक स्वरूप’ के तौर पर वर्णित किया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्वरूप में लगभग 50 बार बदलाव हो चुके हैं. इनमें से 32 बदलाव स्पाइक प्रोटीन वाले हिस्से में हुए हैं जिसके जरिए वायरस इंसानों की कोशिकाओं में प्रवेश करता है.

दक्षिण अफ्रीका के ‘अफ्रीका स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान’ के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर विलेम हानेकोम ने कहा, ‘‘ इन महत्वपूर्ण प्रयोगशाला डेटा के नैदानिक प्रभावों की पुष्टि करना जरूरी है. ऐसा अनुमान है कि टीकों से इस स्वरूप के खिलाफ कम सुरक्षा मिल पाएगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ महत्वपूर्ण बात यह है कि अधिकांश टीका निर्माता इस बात से सहमत हैं कि मौजूदा टीके अब भी गंभीर बीमारी और ‘ओमीक्रोन’ से मौत होने के डर के खिलाफ कारगार हैं. इसलिए जरूरी है कि सभी लोग टीके लगवाएं.’’ अनुसंधानकर्ताओं ने इस बात की जांच की क्या कोविड-19 रोधी ‘फाइज़र एमआरएनए’ टीका, वायरस के नए स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ के खिलाफ कारगर है या नहीं और क्या उसे मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने लिए ‘एसीई 2 रिसेप्टर’ की जरूरत है. यह भी पढ़ें : देश की खबरें | प्रियंका ने जारी किया महिला घोषणा पत्र, शिक्षा, सुरक्षा और स्वावलंबन से जुड़े बड़े वादे

‘एंजियोटिन्सिन कन्वर्टिंग एंजाइम-2’ रिसेप्टर्स एक तरह का एंजाइम है, जो मानव शरीर के हृदय, फेफड़े, धमनियों, गुर्दे और आंत में कोशिका की सतह से जुड़ा होता है. यही मानव शरीर में वायरस के दाखिल होने जरिया बनता है अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि ‘ओमीक्रोन’ को मानव शरीर में दाखिल होने के लिए एसीई2 की जरूरत पड़ती है. अध्ययन में पाया गया कि पहले से सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित लोगों के टीका लगने के तुरंत बाद लिए नमूनों में संक्रमण के खिलाफ उसका असर काफी अधिक दिखा. वहीं, केवल टीका लेने वालों पर इसका असर 41 गुना कम दिखा.