नयी दिल्ली, चार जून इत्र ब्रांड लेयर शॉट के विवादास्पद विज्ञापनों को स्थगित करने वाले विज्ञापन क्षेत्र के नियामक निकाय भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने कहा है कि यह (विज्ञापन) आपत्तिजनक विज्ञापन के खिलाफ उसकी संहिता का ‘‘संभवत: घोर उल्लंघन’’ है।
एएससीआई ने विज्ञापन देखने के बाद फौरन एक विशेष प्रक्रिया अपनाई , जिसे ‘‘स्थगित लंबित जांच’’ (एसपीआई) कहा जाता है और विज्ञापनदाता को इसे लेकर एक जवाब दाखिल करने को कहा।
एएससीआई ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा, ‘‘यह विज्ञापन एएससीआई के अध्याय 2 का संभवत: उल्लंघन करता है, जो यह प्रावधान करता है कि विज्ञापनों में कुछ भी अश्लील नहीं होना चाहिए, खासतौर पर महिलाओं का चित्रण करने में। या कुछ भी अप्रिय नहीं होना चाहिए, जिसके द्वारा शालीनता और शिष्टता के सामान्य मानदंडों के आलोक में, गंभीर एवं व्यापक अपराध होने की संभावना हो।’’
हालांकि, एएससीआई ने अपने बयान में ब्रांड के नाम का जिक्र नहीं किया है।
ज्यादातर मामलों में एएससीआई विज्ञापनदाता को विज्ञापन पर कोई सिफारिश उपलब्ध कराये जाने से पहले अपनी दलील पेश करने का एक अवसर देता है।
बयान में कहा गया है, ‘‘असमान्य परिस्थितियों में, जब प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि कोई विज्ञापन एएससीआई संहिता का गंभीर उल्लंघन कर रहा है और उसका प्रसारण जारी रहने से लोगों को नुकसान हो सकता है या इसका जारी रहना जन हित के खिलाफ है तब एएससीआई विज्ञापनदाता/विज्ञापन एजेंसी/संबद्ध मीडिया को विज्ञापन स्थगित करने का निर्देश देता है। ’’
लेयर शॉट का मालिकाना हक रखने वाले गुजरात स्थित एडजाविस वेंचर का जवाब अभी खबर लिखे जाने तक नहीं मिल पाया पाया है। दरअसल, कंपनी को भेजा गया ई-मेल अनुत्तरित है।
इससे पहले, शनिवार को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ट्विटर और यूट्यूब को अपने-अपने सोशल मीडिया मंच से एक इत्र ब्रांड के उन विज्ञापनों के वीडियो हटाने को कहा, जिसने ‘‘सामूहिक बलात्कार को बढ़ावा देने वाली संस्कृति’’ को लेकर आक्रोश पैदा किया है।
ट्विटर और यूट्यूब को भेजे पत्र में मंत्रालय ने कहा है कि ये वीडियो शालीनता और नैतिकता के लिहाज से महिलाओं के चित्रण के प्रति हानिकारक हैं और सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) का उल्लंघन हैं।
इत्र ब्रांड लेयर शॉट के विज्ञापन से जुड़े वीडियो पर सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के एक बड़े वर्ग ने आपत्ति जताई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह विज्ञापन महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को बढ़ावा देता है।
एएससीआई के मुताबिक, इसकी उपभोक्ता शिकायत परिषद यह निर्णय करेगी कि विज्ञापन, संहिता का उल्लंघन करता है या नहीं और उसके मुताबिक उपयुक्त आदेश जारी करेगी।
एएससीआई ने कहा कि इस मामले में उसने विज्ञापनदाता को तीन जून को पत्र लिखकर विज्ञापन स्थगित करने के फैसले से अवगत कराया था और विज्ञापनदाता का जवाब मांगा था, जो आने वाले दिनों में उपभोक्ता शिकायत परिषद के समक्ष रखी जाएगी।
इसने कहा कि उसे यह सूचना मिली है कि जिस चैनल ने मूल रूप से यह विज्ञापन प्रसारित किया था उसने इसे पहले ही हटा दिया है।
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