संयुक्त राष्ट्र, 18 अगस्त विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि युद्ध से शांति की ओर जाने वाले कठिन पथ पर बढ़ने के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक’ सबसे प्रभावी उपाय सिद्ध हुआ है। जयशंकर ने कर्तव्य निर्वाह करते हुए अपनी जान गंवाने वाले शांतिरक्षकों को यहां संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक स्मारक पर श्रद्धांजलि देने के बाद यह बयान दिया।
भारतीय विदेश मंत्री के साथ संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस भी मौजूद थे। जयशंकर ने कहा, “ऐसे समय जब हम संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, युद्ध से शांति के मार्ग पर बढ़ने के वास्ते मेजबान देशों की सहायता के लिए यूएन के पास शांतिरक्षकों के रूप में सबसे प्रभावी उपाय मौजूद है।”
भारत वर्तमान में सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है और इस नाते बुधवार को जयशंकर, ‘रक्षकों की रक्षा’ के विषय पर तकनीक और शांतिरक्षा पर खुली बहस की अध्यक्षता करेंगे। सुरक्षा परिषद, लगभग 40 साल में पहली बार, भारत की अध्यक्षता में शांतिरक्षा पर दो महत्वपूर्ण दस्तावेजों को स्वीकार्यता देगी।
जयशंकर ने कहा कि 1948 से अब तक दस लाख से ज्यादा शांतिरक्षकों ने संयुक्त राष्ट्र के झंडे के तले सेवा दी है। उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा एक विशिष्ट वैश्विक साझेदारी है। इसमें महासभा, सुरक्षा परिषद, सचिवालय, सेना और पुलिस तथा मेजबान देशों की सरकारें एक साथ आकर अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति के लिए प्रयास करते हैं।”
जयशंकर ने कहा, “इसकी शक्ति यूएन चार्टर की वैधता तथा योगदान देने वाले देशों में निहित है जो कीमती संसाधन उपलब्ध कराते हैं।”
गुतारेस ने कहा कि वह “आज शांतिरक्षा स्मारक पर शांतिरक्षकों के बलिदान का सम्मान करने के लिए” भारत को धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि शांतिरक्षकों की सुरक्षा मजबूत करना उनकी प्राथमिकता में सबसे ऊपर है।
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