इस्लामाबाद, 17 नवंबर पाकिस्तान में एक चरमपंथी धार्मिक समूह के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री से बातचीत के बाद अपना प्रदर्शन खत्म कर दिया है। इन लोगों ने फ्रांस की एक पत्रिका में मोहम्मद पैगंबर से संबंधित कार्टून छापे जाने की निन्दा करने और फ्रांस के राजदूत को निष्कासित करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के क्रम में दो दिन पहले राजधानी इस्लामाबाद की आंशिक घेराबंदी शुरू की थी।
यह जानकारी मंगलवार को एक अधिकारी ने दी।
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मौलवी खादिम हुसैन रिजवी के संगठन तहरीक ए लबैक पाकिस्तान (टीएलपी) ने रविवार को रावलपिंडी के मुर्री रोड पर विरोध प्रदर्शन की शुरुआत की थी।
दंगा पुलिस ने सोमवार को टीएलएपी के लोगों की ओर से पथराव के बाद आंसू गैस के गोले छोड़े थे। ये प्रदर्शनकारी फैजाबाद पहुंचने में कामयाब हो गए थे जो इस्लामाबाद और रावलपिंडी को आपस में जोड़ता है।
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हालांकि रिजवी प्रदर्शन में शामिल नहीं थे, लेकिन उनके प्रतिनिधि प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे थे। इन लोगों का कहना था कि जब तक फ्रांस के राजदूत को वापस भेजने की उनकी मुख्य मांग पूरी नहीं की जाती, तब तक वे प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे।
अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने धार्मिक मामलों के मंत्री नूर उल हक कादरी को प्रदर्शनकारियों से बातचीत की जिम्मेदारी सौंपी। कादरी ने गृह मंत्री एजाज अहमद शाह के साथ प्रदर्शनकारियों से बात की और उन्हें मनाने में सफल हो गए।
इस्लामाबाद के जिला आयुक्त हमजा शफाकत ने आधी रात के आसपास घोषणा की कि सभी सड़कें खोल दी गई हैं।
टीएलपी के एक प्रवक्ता ने चार सूत्री समझौते की प्रति साझा की और कहा कि सरकार फ्रांस के राजदूत के निष्कासन के मुद्दे को संसद में रखेगी तथा मुद्दे पर तीन महीने के भीतर आवश्यक कानून लाएगी।
प्रवक्ता ने कहा कि सरकार ने इस मांग को भी स्वीकार कर लिया है कि फ्रांस में पाकिस्तान अपना राजदूत नियुक्त नहीं करेगा तथा फ्रांसीसी उत्पादों का बहिष्कार करेगा और टीएलपी के हिरासत में लिए गए सभी कार्यकर्ताओं को रिहा करेगा।
हालांकि, समझौते के बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
ऐसी खबर है कि संगठन के 200 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है।
रावलपिंडी और इस्लामाबाद में मोबाइल फोन सेवा बहाल हो गई है जो प्रदर्शन खत्म होने का संकेत है।
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