इस्लामाबाद, एक अप्रैल नकदी संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान की सरकार ने देश में और ज्यादा मुद्रास्फीति के साथ-साथ आर्थिक मंदी आने की चेतावनी जारी की है।
एक समाचारपत्र में शनिवार को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने दिन-ब-दिन बदतर होती आर्थिक स्थिति के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ महत्वपूर्ण समझौते में देरी को जिम्मेदार ठहराया है।
समाचार पत्र 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा है कि राजनीतिक अस्थिरता ने मजबूत मुद्रास्फीति की संभावनाओं को बढ़ाना शुरू कर दिया है।
वित्त मंत्रालय ने अर्थव्यवस्था के प्रति एक निराशाजनक दृष्टिकोण चित्रित करते हुए कहा कि मासिक आर्थिक संकेतक और धीमा हो गया है। इस उपकरण की मदद से पिछले और वर्तमान संकेतकों के आधार पर आर्थिक विकास दर की भविष्यवाणी की जाती है।
रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी की तरह मार्च में भी मुद्रास्फीति ऊपरी दायरे में रह सकता है। उसने हालांकि आकड़ा नहीं दिया लेकिन नकारात्मक कदमों के कारण बाजार में मुद्रास्फीति के 36 प्रतिशत तक पहुंचने की आशंका है।
वित्त मंत्रालय के एक रूढ़िवादी आंतरिक आकलन ने मार्च में लगभग 34 प्रतिशत मुद्रास्फीति दर का आकलन किया। मंत्रालय ने कहा कि ‘बढ़ती मुद्रास्फीति का एक संभावित कारण राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता है।’
मंत्रालय ने यह भी कहा कि आर्थिक संकट बढ़ने के पीछे अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से 1.1 अरब डॉलर के राहत पैकेज की मंजूरी में देरी भी कारक है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) की नीतियां भी मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाने में नाकाम रही हैं।
मासिक रिपोर्ट में कहा गया कि रमजान के दौरान थोक में खरीद से मांग-आपूर्ति में अंतर हो गया है जिससे आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो गई है।
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