देश की खबरें | पीएसी बैठक: सौगत रॉय ने सेबी प्रमुख को तलब करने की मांग की, निशिकांत दुबे ने विरोध किया

नयी दिल्ली, 10 सितंबर तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने मंगलवार को हितों के टकराव के आरोपों का सामना कर रहीं भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी पुरी बुच को संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष तलब करने की मांग की।

‘जल जीवन मिशन’ के कामकाज के ऑडिट के लिए बुलाई गई बैठक में रॉय ने कहा कि बुच को समिति के सामने पेश होना चाहिए।

सूत्रों ने बताया कि हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने इस मांग पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह नियमों के खिलाफ है।

सूत्रों के अनुसार, बैठक में दुबे ने कहा कि सीएजी के प्रधान लेखा परीक्षक केंद्र सरकार के आदेश के बिना सेबी का ऑडिट नहीं कर सकते हैं, इसलिए पीएसी भी नियामकों के अधिकारियों को वित्त संबंधी ‘‘खामियों’’ के सबूत के बिना नहीं बुला सकती।

सूत्रों का कहना है कि दुबे ने कहा कि सबसे पुरानी संसदीय समिति होने के नाते पीएसी के अपने परिभाषित नियम हैं और यदि स्वत: संज्ञान लेना है तो उसे साक्ष्य के साथ प्रमाणित करना होगा।

सूत्रों ने बताया कि रॉय ने पीएसी अध्यक्ष केसी वेणुगोपाल को पत्र लिखकर पीएसी की बैठक में ‘‘सेबी की कार्यप्रणाली’’ का मुद्दा उठाने की मांग की।

उन्होंने मंगलवार को बैठक के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि समिति में सेबी के कामकाज पर विचार-विमर्श की अनुमति दी जाए और सेबी प्रमुख को बुलाया जाए।

समिति द्वारा सेबी के कामकाज पर चर्चा का आधार क्या है, इस पर पीएसी द्वारा निर्णय लिया जाना बाकी है।

बैठक के बाद, समिति में शामिल भाजपा सदस्यों ने सुझाव दिया कि विचार-विमर्श के दौरान उपस्थित सीएजी अधिकारियों ने दुबे के इन विचारों का ‘‘समर्थन किया’’ कि ऑडिटर केंद्र सरकार के आदेश के बिना सेबी का ऑडिट नहीं कर सकता है।

बैठक में मौजूद विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि सीएजी अधिकारी तृणमूल कांग्रेस के सांसद रॉय के इस तर्क से सहमत हैं कि सेबी के कामकाज पर पीएसी द्वारा चर्चा की जा सकती है।

समिति द्वारा चुने गए स्वत: संज्ञान के विषयों में संसद के अधिनियमों द्वारा स्थापित नियामक निकायों के कामकाज की समीक्षा, बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में सुधार, केंद्र प्रायोजित कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा, ऊर्जा क्षेत्र में परिवर्तन के लिए चल रहे नीतिगत उपाय और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे तथा अन्य सार्वजनिक उपयोगिताओं पर शुल्क, टैरिफ, उपयोगकर्ता शुल्क और विनियमन शामिल हैं।

पीएसी ने पिछले वर्ष से समिति के समक्ष लंबित मामलों के अलावा अपने कार्यकाल के दौरान 161 विषयों को विचार के लिए चुना है।

पीएसी के अध्यक्ष वेणुगोपाल ने पिछले सप्ताह कहा था कि यह समिति को निर्णय लेना है कि सेबी अध्यक्ष बुच को उसके सामने पेश होने के लिए कहा जाए या नहीं।

अमेरिकी कंपनी ‘हिंडेनबर्ग रिसर्च’ ने सबसे पहले बुच के खिलाफ हितों के टकराव का आरोप लगाया था। कांग्रेस इसको लेकर माधवी पर लगातार हमले कर रही है।

माधवी बुच ने सभी आरोपों को खारिज किया है।

हक

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