Parliament Inauguration: नई संसद के अंदर सिर्फ हिंदू पुजारियों को ले जाने पर ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने नई संसद के उद्घाटन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह केवल हिंदू ‘पुजारियों’ को इमारत के अंदर ले गए.

New Parliament Building Inauguration (Photo Credit: BJP/Twitter)

हैदराबाद, 29 मई: एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने नई संसद के उद्घाटन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह केवल हिंदू ‘पुजारियों’ को इमारत के अंदर ले गए. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि यह आयोजन ‘दिल्ली के सुल्तान की ताजपोशी’ जैसा लग रहा था.

तेलंगाना के आदिलाबाद शहर में रविवार को एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने पूछा कि प्रधानमंत्री नई संसद के उद्घाटन के बाद अन्य धर्मों के धार्मिक नेताओं को उसके अंदर क्यों नहीं ले गए.

हैदराबाद के सांसद ने पूछा, “नए संसद भवन का उद्घाटन हुआ. मैंने टीवी पर देखा, प्रधानमंत्री संसद के अंदर जा रहे थे और 18-20 हिंदू पुजारी उनके पीछे (संसद के अंदर) मंत्र जाप करते हुए चल रहे थे. प्रधानमंत्री जी आप सिर्फ हिंदू पुजारियों को लेकर गए. प्रधानमंत्री ईसाई पादरी, मुस्लिम मौलाना और अन्य धर्मों के धार्मिक नेताओं को (नई संसद के) अंदर क्यों नहीं ले गए?”

ओवैसी ने कहा, “प्रधानमंत्री जी, भारत का कोई एक धर्म नहीं है. भारत हर धर्म का पालन करता है. यह अफसोस की बात है कि प्रधानमंत्री नई लोकसभा में केवल एक धर्म के धार्मिक गुरुओं को लेकर गए. काश आप बड़ा दिल दिखाते और ईसाई, सिख, मुस्लिम और जैन (धार्मिक गुरुओं) को भी अंदर ले जाते.”

एआईएमआईएम नेता ने कहा, “ऐसा नहीं लग रहा था कि नए संसद भवन का उद्घाटन हो रहा है बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे दिल्ली के सुल्तान की ताजपोशी हो रही हो. क्या यही भारत की धर्मनिरपेक्षता है? प्रधानमंत्री को ऐसा नहीं करना चाहिए था. मिस्टर मोदी, आप हिंदुओं, मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, आदिवासियों और 130 करोड़ लोगों के प्रधानमंत्री हैं. आप किसी एक धर्म के प्रधानमंत्री नहीं हैं.”

रविवार को नई दिल्ली में नई संसद के भव्य उद्घाटन कार्यक्रम में एक हवन, एक बहु-धर्म प्रार्थना समारोह और लोकसभा कक्ष में सेंगोल (राजदंड) की स्थापना शामिल थी. वर्ष के अंत में होने वाले तेलंगाना विधानसभा चुनावों के बारे में, ओवैसी ने कहा कि एआईएमआईएम ने 2014 और 2018 के राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने में भूमिका निभाई थी और वह नहीं चाहती कि राज्य में भाजपा पनपे.

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