देश की खबरें | बोरवेल में गिरी बच्ची को बचाने का अभियान चौथे दिन भी जारी

जयपुर, 26 दिसंबर रजस्थान के कोटपूतली में खुले बोरवेल में गिरी तीन साल की बच्ची चेतना को बचाने का अभियान बृहस्पतिवार को चौथे दिन भी जारी रहा हालांकि समय बीतने के साथ उसे सुरक्षित निकाल पाने की उम्मीद धूमिल होती जा रही हैं।

बचाव दल इस बच्ची को भोजन या पानी नहीं भेज पा रहा है। जब से चेतना बोरवेल में गिरी है तब से उसकी दुखी मां ने कुछ भी नहीं खाया है।

उल्लेखनीय है कि कोटपूतली जिले के सरुंड थाना क्षेत्र के कितरपुरा इलाके में भूपेंद्र चौधरी के खेत में उनकी तीन साल की बच्ची चेतना सोमवार करीब तीन बजे बोरवेल में गिर गई थी और उसे सुरक्षित बाहर निकालने के प्रयास लगातार जारी हैं।

शुरू में बचाव दल ने रस्सी से बंधी लोहे की छल्ले से बच्ची को बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन सभी प्रयास विफल रहे।

दो दिन तक लगातार प्रयास करने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला तो बुधवार सुबह बोरवेल के समानांतर गड्ढा खोदने के लिए पाइलिंग मशीन मौके पर लाई गई।

सरुंड के थानाधिकारी मोहम्मद इमरान ने बताया, "....अब एक क्षैतिज सुरंग बनाई जाएगी, जिसके जरिए विशेषज्ञ बच्ची तक पहुंचेंगे।" इससे पहले दिन में थानाधिकारी ने कहा था कि बचाव अभियान बृहस्पतिवार को समाप्त होने की संभावना है। हालांकि, शाम तक बचावकर्मी निराश हो गए, क्योंकि विशेषज्ञ समानांतर गड्ढे में नहीं जा पाए।

स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन की मदद से राष्ट्रीय आपदा मोचन बल एनडीआरएफ और राज्‍य आपदा मोचन बल एसडीआरएफ की टीमों द्वारा लगातार जारी बचाव अभियान के बीच बच्‍ची की मां धोली देवी और अन्य लोग चेतना की सलामती के लिए लगातार प्रार्थना कर रहे हैं।

थानाधिकारी ने बताया कि बच्ची को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए हर संभव प्रयास किए गए, लेकिन बोरवेल संकरा होने और तकनीक के कारगर नहीं होने के कारण सारी मेहनत बेकार गई।

उन्होंने बताया कि एंबुलेंस के साथ डॉक्टरों की एक टीम मौके पर है। जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल बुधवार देर रात स्थिति का जायजा लेने गांव पहुंचीं। उन्होंने बताया कि बचाव अभियान लगातार जारी है। खेत तक पाइलिंग मशीन पहुंचाने के लिए काफी तैयारियां करनी पड़ीं।

दो सप्ताह पहले प्रदेश के दौसा जिले में पांच साल का एक बच्चा बोरवेल में गिर गया था। बच्चे को सुरक्षित निकालने के लिये राहत और बचाव अभियान 55 घंटों से ज्यादा चला था। हालांकि, जब तक उसे बाहर निकाला गया तब तक वह जिंदगी की जंग हार चुका था।

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