Guru Ghasidas Jayanti 2024: हर साल गुरु घासीदास जयंती (Guru Ghasidas Jayanti) 18 दिसंबर को पड़ती है. वर्ष 2024 में यह दिन बुधवार को पड़ेगा. गुरु घासीदास सतनामी संप्रदाय या सतनामपथ के शिक्षक या गुरु हैं, जो सिख धर्म के समान है. उन्होंने अपना अधिकांश जीवन छत्तीसगढ़ के जंगलों में बिताया. घासीदास का जन्म गिरौदपुरी जिले में हुआ था. बचपन से ही जाति व्यवस्था की बुराइयों को देखने के बाद, उन्होंने समानता पर आधारित जीवन जीने का एक नया तरीका स्थापित करने का मन बना लिया था. उन्होंने उस समय प्रचलित सामाजिक संरचना और जाति व्यवस्था को समझने और इसे समाप्त करने के उपाय खोजने के लिए छत्तीसगढ़ क्षेत्र के कोने-कोने का व्यापक भ्रमण किया. उनकी मृत्यु के बाद, उनकी शिक्षाओं का प्रचार उनके बेटे गुरु बालकदास ने किया. उनका विवाह सफूरा माता से हुआ था. उनके दो और बच्चे थे, गुरु अमरदास और सहोद्रा माता. उनके माता-पिता माता अमरोतिन और महंगू दास थे.
उनके द्वारा स्थापित सतनामी समुदाय या संप्रदाय सत्य और समानता (सत का अर्थ सत्य) पर आधारित है. इस संप्रदाय के लिए उन्होंने जो प्रतीक बनाया वह सफेद रंग से रंगा हुआ लकड़ी का लट्ठा है, जिसके ऊपर एक सफेद झंडा फहराया जाता है. इस प्रतीक को 'जैतखंभ' कहा जाता है. लट्ठा सत्य के स्तंभ और हमेशा सत्य का पालन करने वाले व्यक्ति का प्रतीक है. सफेद झंडा शांति का प्रतीक है. सतनामी संप्रदाय के समर्थकों या अनुयायियों को केवल सफेद कपड़े पहनने की अनुमति है. उन्हें जानवरों पर आधारित कोई भी खाद्य पदार्थ खाने से भी बचना चाहिए. उन्हें किसी भी तरह की शराब पीने की भी मनाही है. इस संप्रदाय में मूर्ति पूजा भी सख्त वर्जित है. गुरु घासीदास जयंती के इस खास अवसर पर आप इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स और जीआईएफ ग्रीटिंग्स के जरिए प्रियजनों को बधाई दे सकते हैं.
1. विश्व को सत्य अहिंसा, शांति, समानता, भाईचारा का
संदेश देनेवाले सतनाम धर्म के प्रवर्तक
पूज्य गुरु घासीदास जयंती की शुभकामनाएं
2. आत्मा में अमरौतिन बसे, मन में महंगू दास
श्वास में सफुरा बसे, घट-घट में गुरु घासीदास
गुरु घासीदास जयंती की शुभकामनाएं
3. सनातन को सार जान के संतों, करो नित सत्कर्म,
गुरु के मार्ग में चलकर, निभाओ अपना मानव धर्म
गुरु घासीदास जयंती की शुभकामनाएं
4. नारी से ही जन्मे है भैया ये सारा मानव समाज
माता, बहिनी, बेटी, दादी- नानी सबके मिलते माया दुलार
नारी के ऊपर मत करहू कभी अत्याचार
गुरु घासीदास जयंती की शुभकामनाएं
5. सतनाम गुरु के निर्मल वाणी
सत्य के राह में चलो सब संत और ज्ञानी
सत्य न थका न रुका है कभी
निरंतर बढ़ता जाए, जैसे नदी का पानी
गुरु घासीदास जयंती की शुभकामनाएं
समानता पर आधारित समाज की स्थापना और जाति प्रथा को खत्म करने के लिए उनके योगदान के लिए सरकार ने गुरु घासीदास को कई श्रद्धांजलि दी है. वर्ष 1987 में उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया गया था. संजय-डुबरी टाइगर रिजर्व के एक हिस्से का नाम गुरु घासीदास के नाम पर रखा गया है. उस हिस्से को अब गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कहा जाता है. उनके नाम पर एक केंद्रीय विश्वविद्यालय का नाम भी रखा गया है, जिसका नाम गुरु घासीदास विश्वविद्यालय है.
गुरु घासीदास जयंती छत्तीसगढ़ में न केवल एक क्षेत्रीय अवकाश है, बल्कि इसे बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है. पूरे राज्य में उनके सम्मान में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और गुरु के जीवन और दर्शन की प्रशंसा करते हुए भाषण दिए जाते हैं.