हिरियूर/सिद्दापुरा (कर्नाटक), 11 अक्टूबर : भारत जोड़ो यात्रा के एक महीने बाद कांग्रेस एक नया जोश और आक्रामक रूप धारण करने के साथ कुछ स्पष्ट लाभ देख रही है. वर्तमान में केवल दो राज्यों- छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अपने दम पर सत्ता में विराजमान कांग्रेस ने अपने पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के उत्साह पर सवार होकर राजनीतिक और चुनावी पुनरुद्धार की कवायद के तहत 3,570 किलोमीटर की मैराथन यात्रा शुरू की है. पार्टी के नेता उत्साहित हैं और यात्रा 34वें दिन में प्रवेश कर गई है. वे तीन स्पष्ट सकारात्मक परिणामों को सूचीबद्ध करते हैं - एक सक्रिय कांग्रेस जिसने अतीत की जड़ता को पीछे छोड़ते हुए जमीन पर कदम रखा है, एक संवादात्मक कवायद जो सीधे लोगों को आकर्षित कर रही है, और एक संगठित संगठन जो कई वर्षों से निष्क्रिय था. कवायद से जुड़े मुख्य लोगों में शुमार कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश यात्रा को पार्टी के लिए एक मनोवैज्ञानिक प्रोत्साहन के रूप में देखते हैं. रमेश ने कहा, "मुझे लगता है कि यात्रा ने जो किया है उससे कांग्रेस को दिखा है कि हम यह कर सकते हैं. हम सड़कों पर हैं, हम भाजपा से लड़ रहे हैं. हम लड़ाई को उनके शिविरों में ले जा रहे हैं. हम बुनियादी मुद्दों को उठा रहे हैं. हम प्रतिक्रियाशील नहीं हैं. वास्तव में, अब भाजपा हम पर प्रतिक्रिया दे रही है और मुझे लगता है कि यह यात्रा का सबसे बड़ा योगदान है. यह चुनावी होने के बजाय मनोवैज्ञानिक है.”
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि लाभ समेकित होगा क्योंकि 117 भारत यात्री 12 राज्यों से गुजरने वाले समूचे यात्रा मार्ग से गुजरेंगे.
कांग्रेस के रणनीतिकारों का दावा है कि मुख्य उद्देश्य जनता से जुड़ना और उनके मुद्दों को उठाना है, जैसा कि उदयपुर चिंतन शिविर में तय किया गया था, जहां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ने स्वीकार किया था कि पार्टी जमीन से अलग हो गई है. नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी यात्रा के दौरान 550 से अधिक लोगों से व्यक्तिगत रूप से मिले हैं, और विशिष्ट चिंताओं को लेकर कई समूहों के साथ बातचीत की है. यात्रा आयोजन समिति के प्रमुख और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा, "कई साल में यह पहली बार है कि कांग्रेस की चर्चा दूरदराज के इलाकों, गांवों में हो रही है और लोग इस बात से आश्चर्य में हैं कि राहुल गांधी पूरे रास्ते चल रहे हैं." कई मायनों में, यात्रा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष की व्यक्तिगत छवि निर्माण की कवायद के रूप में आकार ले रही है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बार-बार दावा किया है कि ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के बाद एक नए राहुल गांधी नजर आएंगे. यह भी पढ़ें : केंद्र ने राज्यों से ऑनलाइन भूमि पंजीकरण सेवाओं के लिए स्थानीय सर्वर स्थापित करने को कहा
पार्टी का सोशल मीडिया विभाग अपने नेता के स्नेही पक्ष को पेश करने में सजगता दिखा रहा है- जैसे कि मां के जूतों के फीते बांधना, बच्चों के साथ खेलना, बुजुर्ग महिला को गले लगाना, इत्यादि. यह विचार भाजपा के इस कथन का मुकाबला करने के लिए है कि "राहुल गांधी एक अनिच्छुक एवं पर्यटक नेता हैं जो कई छुट्टियां लेते हैं". जयराम रमेश ने कहा, "यह राहुल गांधी के लिए एक परिवर्तनकारी क्षण है. यात्रा में उनकी मजबूती और विचारों की स्पष्टता उभर रही है." उन्होंने कहा कि इस दौरान राहुल गांधी ने तीन तात्कालिक संवाददाता सम्मेलन किए जिनमें से दो में स्पष्ट रूप से उनकी विचारधारा नजर आई. पहला, उन्होंने कहा है कि कांग्रेस अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक सांप्रदायिकता के बीच अंतर नहीं करती है और दोनों से लड़ेगी. दूसरा, उन्होंने स्पष्ट किया है कि कांग्रेस एकाधिकार के खिलाफ है, न कि उद्योगपतियों के खिलाफ. ये स्थितियां धर्मनिरपेक्षता और अर्थशास्त्र पर पार्टी की अस्पष्ट रेखाओं में कुछ स्पष्टता लाती हैं, और पश्चिम बंगाल तथा केरल में पिछले विधानसभा चुनावों में पार्टी के कट्टरपंथी ताकतों के साथ गठबंधन के मद्देनजर महत्वपूर्ण हो सकती हैं. कांग्रेस को बंगाल में एक भी सीट नहीं मिली, जबकि केरल में, वाम लोकतांत्रिक मोर्चा ने सत्ता-विरोधी लहर को परास्त कर रिकॉर्ड जीत हासिल की.
स्पष्ट वैचारिक स्थिति के अलावा, यात्रा कांग्रेस को उन राज्यों में चुनावी प्रभाव पैदा करने में मदद कर रही है, जहां वह कोशिश कर रही है. भाजपा शासित कर्नाटक में, पार्टी जनता की प्रतिक्रिया को "अद्भुत" मानती है. कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा, "तमिलनाडु और केरल में हमें जो प्रतिक्रिया मिली, उसकी उम्मीद थी लेकिन कर्नाटक में लोगों का समर्थन जबरदस्त रहा है." उन्होंने कहा, "पार्टी ने कर्नाटक में जद (एस) और भाजपा के गढ़ को पार कर लिया है तथा वाईएसआरसीपी शासित आंध्र प्रदेश और टीआरएस शासित तेलंगाना में भी इसी तरह की प्रतिध्वनि की उम्मीद के साथ एक उत्साह पैदा किया है." हालांकि, कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के नेताओं का मानना है कि यात्रा में केवल 20 निर्वाचन क्षेत्रों में प्रवेश के बजाय और अधिक विधानसभा क्षेत्रों को शामिल करना चाहिए था. हाल के दिनों में 14 विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद राज्य में कांग्रेस के अब 70 विधायक हैं.
पार्टी के महासचिव कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि अगले महीने से राज्य भर में तीन और यात्राएं शुरू की जाएंगी. सुरजेवाला ने कहा, "जारी यात्रा ने हर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी कैडर को सक्रिय कर दिया है और प्रदेश नेतृत्व को एकजुट कर दिया है." उन्होंने कहा कि इससे भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी जैसे प्रमुख मुद्दों को उजागर करने में मदद मिली है तथा राहुल गांधी को गैर-राजनीतिक क्षेत्रों के लोगों से बातचीत करने का मौका मिला है. सुरजेवाला ने कहा, "भाजपा अब बचाव की मुद्रा में है और इसी तरह की बैठकों की योजना बनाकर नकल सिंड्रोम का सहारा ले रही है, लेकिन उसने राज्य में 511 किलोमीटर चलने का साहस नहीं किया है." हालांकि यात्रा जारी है और यह देखा जाना बाकी है कि यह कांग्रेस के चुनावी भाग्य को प्रभावित करेगी या नहीं. दिलचस्प बात यह है कि यात्रा में चुनावी राज्य हिमाचल प्रदेश और गुजरात को शामिल नहीं किया गया है.
इसके अलावा, यात्रा में विपक्षी नेताओं की अनुपस्थिति बहस का विषय है. हालांकि, कांग्रेस का दावा है कि इस कवायद का उद्देश्य कभी भी विपक्षी एकता स्थापित करने का नहीं था. हालांकि, पार्टी ने यात्रा की शुरुआत में नेताओं से भाग लेने की अपील की थी. अब तक विपक्ष की ओर से केवल द्रमुक प्रमुख एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की ही भागीदारी रही है, जिन्होंने राहुल गांधी के साथ कन्याकुमारी से यात्रा को हरी झंडी दिखाई थी. कांग्रेस का कहना है कि उसने केवल स्टालिन को आमंत्रित किया था और आधिकारिक तौर पर किसी अन्य को नहीं बुलाया था. जैसा कि प्रतीत होता है, कांग्रेस ‘भारत जोड़ो’ यात्रा को आत्मावलोकन के एक माध्यम के रूप में देखती है तथा अगले साल की शुरुआत में यात्रा के अंत तक विपक्षी स्थान के केंद्र में उतरने की उम्मीद करती है.