श्रीनगर, 6 सितंबर : नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को दावा किया कि भाजपा शासित केंद्र सरकार उन्हें चुप कराने के प्रयास के तहत जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में उनके खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार उतार रही है. उमर ने कहा, “मुझे हमेशा से पता था कि दिल्ली किसी तरह से मुझे चुप कराना चाहेगी, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि वे इस हद तक जाएंगे. बारामूला (लोकसभा चुनाव) में, जब एक व्यक्ति (शेख अब्दुल रशीद) जेल में रहते हुए नामांकन दाखिल करने के बाद मेरे खिलाफ चुनाव में खड़ा हुआ, तो उसने जेल से अपना संदेश रिकॉर्ड किया और भावनाओं के आधार पर वोट मांगे. उसने मुझे चुनाव में हरा दिया.” अब्दुल्ला ने गांदरबल विधानसभा क्षेत्र में चुनावी रैलियों में कहा, “मैं इसे चिंताजनक नहीं मानता.” अब्दुल्ला इसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके उमर ने कहा कि बारामूला लोकसभा सीट के नतीजों के बाद उन्हें लगा कि किस्मत रशीद के पक्ष में थी और “यह मेरी बदकिस्मती थी.”
उन्होंने पूछा, “लेकिन जब मैंने गांदरबल से (विधानसभा) चुनाव लड़ने का फैसला किया, तो खबरें आने लगीं कि एक अन्य नागरिक (सर्जन अहमद वागय उर्फ बरकती) जो जेल में है, मेरे खिलाफ चुनाव लड़ने जा रहा है. मैं सोचने पर मजबूर हो गया कि ये लोग मेरे पीछे क्यों पड़े हैं. क्या कोई साजिश है?” अब्दुल्ला ने कहा कि वह समझ सकते हैं कि रशीद उनके खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़े, क्योंकि वह उसी निर्वाचन क्षेत्र के स्थानीय निवासी हैं. उन्होंने कहा, “जब उन्हें जेल में कोई स्थानीय व्यक्ति (गांदरबल) नहीं मिला, तो वे जैनापोरा-शोपियां से एक व्यक्ति (बरकती) को ले आए. मुझे अब भी लगा कि शायद यह एक संयोग था. मैंने अपने कुछ सहकर्मियों से सलाह ली और उनसे कहा कि मैं यह साबित करना चाहता हूं कि यह मेरे खिलाफ दिल्ली से एक साजिश है.” अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी टीम ने कुछ निर्वाचन क्षेत्रों से नामांकन पत्र एकत्र किए हैं, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वे कहां से नामांकन पत्र दाखिल करेंगे. यह भी पढ़ें : वडेट्टीवार ने महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की
उन्होंने कहा, “हमने फॉर्म लिये और तय किया कि सुबह फैसला करेंगे कि कहां से चुनाव लड़ना है (दूसरी सीट के लिए). कल यह साबित हो गया कि यह महज संयोग नहीं है. अन्यथा, मुझे बताइये, इस आदमी ने गांदरबल से पर्चा भरा और फिर उसने बीरवाह से नामांकन पत्र लिया, यह सोचते हुए कि मैं वहां का विधायक हूं तो वहीं से लड़ूंगा. हालांकि, जब मैंने अपराह्न में बड़गाम से पर्चा भरा तो उनकी पोल खुल गयी.” नेकां उपाध्यक्ष ने दावा किया कि यह घटना दिखाती है कि दिल्ली जम्मू कश्मीर में किसी भी राजनेता को चुप कराने की उतनी कोशिश नहीं कर रही है, खासकर कश्मीर में, जितना वे उमर अब्दुल्ला के साथ करने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, “क्योंकि जब मैं बोलता हूं तो मैं लोगों के लिए बोलता हूं, मैं उनके मुद्दे उठाता हूं, मैं हमारी गरिमा की बात करता हूं जो हमसे छीन ली गई है. जब मैं अपनी टोपी उतारता हूं तो यह सिर्फ मेरी गरिमा नहीं होती. यह सबकी गरिमा होती है.” अब्दुल्ला ने कहा कि जब वह दिल्ली के खिलाफ लड़ते हैं तो यह केवल अपने या अपने परिवार के लिए नहीं बल्कि पूरे जम्मू-कश्मीर के लिए होता है. उन्होंने कहा, “भाजपा को यह पसंद नहीं है - यही कारण है कि मेरे खिलाफ लगातार साजिश रची जा रही है. लेकिन यह साजिश सिर्फ एक बार सफल हुई है. इस बार मुझे गांदेरबल के लोगों पर पूरा भरोसा है कि वे समझदारी से वोट देंगे.”