विदेश की खबरें | अयोध्या पर टिप्पणी को लेकर चौतरफा निन्दा से घिरे ओली

काठमांडू, 14 जुलाई भगवान राम और अयोध्या को लेकर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की टिप्पणी की मंगलवार को चौतरफा निन्दा हुई। देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि ओली ने ‘‘सारी हदें पार कर दी हैं।’’

ओली ने अपनी विवादास्पद टिप्पणी में कहा था कि भगवान राम बीरगंज के पास ठोरी में पैदा हुए थे और असली अयोध्या नेपाल में है।

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नेपाल के विभिन्न राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं ने ओली की इस टिप्पणी की कड़ी निन्दा की और इसे ‘‘निरर्थक तथा अनुचित’’ करार दिया।

पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टरई ने ट्वीट किया, ‘‘ओली के बयान ने सारी हदें पार कर दी हैं। अतिवाद से केवल परेशानी उत्पन्न होती है।’’

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उन्होंने ओली पर व्यंग्य करते हुए कहा, ‘‘अब प्रधानमंत्री ओली से कलियुग की नयी रामायण सुनने की उम्मीद करें।’’

नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री एवं हिन्दू समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष कमल थापा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री से इस तरह की मूर्खतापूर्ण, अपुष्ट और अप्रमाणित टिप्पणी वांछनीय नहीं थी। प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री ओली का ध्यान भारत के साथ संबंधों को सुधारने की जगह नष्ट करने पर केंद्रित है, जो उचित नहीं है।’’

सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता बामदेव गौतम ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली को अयोध्या पर की गई अपनी टिप्पणी वापस लेनी चाहिए।

गौतम ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, ‘‘प्रधानमंत्री ओली ने बिना किसी साक्ष्य के बयान दिया और इससे देश के भीतर और बाहर केवल विवाद खड़ा हुआ है। इसलिए उन्हें बयान वापस लेना चाहिए और इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘नेपाल और भारत दोनों देशों में ही बड़ी संख्या में भगवान राम के भक्त हैं और किसी को भी लोगों की धार्मिक भावना को आहत नहीं करन चाहिए। किसी वास्तविक कम्युनिस्ट के लिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि भगवान राम यहां पैदा हुए या वहां पैदा हुए।’’

सत्तारूढ़ पार्टी की पब्लिसिटी कमेटी के उप-प्रमुख बिष्णु रिजाल ने कहा, ‘‘उच्च पद पर आसीन व्यक्ति की इस तरह की निरर्थक और अनुचित टिप्पणी से देश की प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचेगी।’’

वरिष्ठ पत्रकार कनक दीक्षित ने ट्वीट किया कि भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या की जगह को लेकर विवाद खड़ा करना प्रधानमंत्री ओली की अज्ञानता है। इससे भारत में एक तबके के लोगों के साथ संबंधों में खटास आएगी, जबकि यह पहले केवल भारत सरकार तक ही सीमित था।

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