बदला लेने के लिए अश्लील सामग्री नहीं, ऑनलाइन दोस्ती की सीमा तय करें: साइबर सुरक्षा सबक

आभासी दुनिया में किशोरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कुछ सबक तैयार किये हैं. कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान शैक्षिक गतिविधियों के पूरी तरह ऑनलाइन होने से छात्रों का डिजिटल माध्यमों पर व्यतीत होने वाला समय बढ़ गया है. हैंडबुक में बदले के लिए अश्लील साहित्य के जाल में फंसने से बचने को लेकर भी चेतावनी दी गई है.

ऑनलाइन /प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Pixabay)

नई दिल्ली, 24 मई:  आभासी दुनिया में किशोरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education) ने कुछ सबक तैयार किये हैं. इनमें बदले की भावना से अश्लील साहित्य या सामग्री के प्रकाशन अथवा प्रसारण को लेकर चेतावनी के साथ ही ऑनलाइन दोस्ती की सीमा तय करने, दूसरों की सहमति का सम्मान करने तथा किसी भी तरह की परेशानी पर बड़ों को इस बारे में जानकारी देने जैसी बातें शामिल हैं.

कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान शैक्षिक गतिविधियों के पूरी तरह ऑनलाइन होने से छात्रों का डिजिटल माध्यमों पर व्यतीत होने वाला समय बढ़ गया है. ऐसे में हाल में सामने आए “बॉयज लॉकर रूम” विवाद ने इसके संभावित खतरों को भी सामने लाकर खड़ा कर दिया है. सीबीएसई (CBSE) ने कक्षा नौ से 12वीं तक के छात्रों के लिए स्कूलों के साथ एक साइबर सुरक्षा हैंडबुक साझा की है.

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इस किताब में छात्रों के साथ ही अभिभावकों के लिये भी व्यापक दिशानिर्देश हैं, जिनमें क्या करना है और क्या नहीं समेत मामले की संवेदनशीलता को समझने के लिये गतिविधियां भी दी गई हैं. बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “छात्रों को अपनी ऑनलाइन दोस्ती की सीमा तय करना सीखना होगा और साथ ही वास्तविक जीवन के मित्रों के साथ ऑनलाइन संवाद की सीमा भी तय करनी होगी.

वे लिखित शब्दों, तस्वीरों या वीडियो के तौर पर क्या साझा या विनिमय कर रहे हैं, इसकी एक सीमा होनी चाहिए. उन्हें यह बात जरूर याद रखनी चाहिए कि एक बार ऑनलाइन (Online) होने के बाद वे इसे नियंत्रित नहीं कर पाएंगे कि कौन इन्हें वास्तव में देखेगा. ऐसे में भरोसा तोड़ने, दुरुपयोग और उनकी प्रतिष्ठा के संभावित खतरे के नुकसान से बचें.

अधिकारी ने कहा, "किशोरों को लैंगिक संबंधों को समझने की जरूरत है. लड़कों को लड़कियों के साथ समान भाव व सम्मान के साथ बात करना सीखना चाहिए और उन्हें इंसानों के तौर पर समझे जाने की उनकी इच्छा का ख्याल किया जाना चाहिए, न कि उन्हें सम्मान या इच्छा वाली किसी वस्तु के तौर पर देखा जाना चाहिए."

अधिकारी ने कहा, “संबंधों में सहमति का महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए. विश्वास में साझा की गई तस्वीरों, वीडियो और अन्य सामग्री को बिना सामने वाले व्यक्ति की अनुमति के सिर्फ इसलिये सोशल मीडिया पर जारी नहीं किया जाना चाहिए कि वह व्यक्ति अब इस रिश्ते को जारी नहीं रखना चाहता. युवाओं को खारिज किये जाने की भावना से उबरना सीखना होगा क्योंकि यह जीवन का हिस्सा है न कि दुनिया का अंत.”

अधिकारी ने कहा, “फिलहाल भारत में डिजिटल सहमति की कोई न्यूनतम उम्र नहीं है. अगर ऑफलाइन ऐसे लोग हैं जिनसे अपने शारीरिक या यौन अनुभवों के बारे में बात करते हुए आप असहज महसूस करते हैं तो इस बात की भी उम्मीद है कि आप ऑनलाइन अजनबियों के साथ चैट करते हुए भी असहज महसूस करेंगे. साइबर क्षेत्र पर नजर रखने वाले फर्जी अकाउंट बना लोगों से दोस्ती करते हैं और उनका मकसद लोगों को नुकसान पहुंचाने का होता है, चाहे शारीरिक रूप से, यौन दुर्व्यवहार से या फिर भावनात्मक रूप से.”

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति परिचय के कुछ समय के बाद ही आपके हाव-भाव या चेहरे-मोहरे को लेकर तारीफ करे तो छात्रों को इस बात को लेकर सजग हो जाना चाहिए. उन लोगों से बात न करें जो आपसे यौन रूप से संतुष्ट करने वाली तस्वीरें या वीडियो साझा करने को कहें.

उस व्यक्ति की ऑनलाइन दोस्ती की पेशकश कभी स्वीकार नहीं करें जिससे आप व्यक्तिगत रूप से न मिले हों. आप अपनी तस्वीरें या वीडियो साझा करते हैं तो हो सकता है वह व्यक्ति इन्हें अन्य लोगों के साथ साझा करे और आपको ब्लैक मेल करने के लिये भी इनका इस्तेमाल करे. हैंडबुक में बदले के लिए अश्लील साहित्य के जाल में फंसने से बचने को लेकर भी चेतावनी दी गई है.

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)

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