जब घोसालकर की गोली मारकर हत्या की गई तो नोरोन्हा के पीए, एक अन्य व्यक्ति घटनास्थल पर मौजूद थे: पुलिस
एक पुलिस अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि जब फेसबुक लाइव सत्र के दौरान शिवसेना (यूबीटी) नेता अभिषेक घोसालकर की गोली मारकर हत्या कर दी गई, तब मौरिस नोरोन्हा के निजी सहायक (पीए) और एक अन्य व्यक्ति यहां घटनास्थल पर मौजूद थे।
मुंबई, 15 फरवरी: एक पुलिस अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि जब फेसबुक लाइव सत्र के दौरान शिवसेना (यूबीटी) नेता अभिषेक घोसालकर की गोली मारकर हत्या कर दी गई, तब मौरिस नोरोन्हा के निजी सहायक (पीए) और एक अन्य व्यक्ति यहां घटनास्थल पर मौजूद थे. पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, नोरोन्हा ने पूर्व निगम पार्षद घोसालकर (40) की हत्या उन्हीं के कार्यालय में आठ फरवरी को करने के लिए अपने अंगरक्षक अमरेंद्र मिश्रा की अधिकृत बंदूक का इस्तेमाल किया था.
अपराध शाखा के अधिकारी के अनुसार, अपराध के समय नोरोन्हा के पीए मेहुल पारेख और रोहित साहू भी घटनास्थल पर मौजूद थे. पारिख और साहू दोनों को उस दिन हिरासत में लिया गया था, क्योंकि दोनों को नोरोन्हा के कार्यालय के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज में देखा गया था. अधिकारी ने कहा, "हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या इस मामले में उनकी कोई भूमिका थी."
पुलिस ने अब तक नोरोन्हा के अंगरक्षक मिश्रा को एक व्यक्ति को हथियार रखने के उसके कानूनी अधिकार की पुष्टि किए बिना लाइसेंसी हथियार उपलब्ध कराने के आरोप में गिरफ्तार किया है. वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. आरोपों के अनुसार, मौरिस ‘भाई’ के नाम से चर्चित नोरोन्हा ने घोसालकर पर पांच गोलियां चलाईं, जिनमें से तीन उन्हें लगीं और उनकी मौत हो गई. पुलिस घोसालकर और नोरोन्हा के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के पहलू पर भी गौर कर रही है, जिन्होंने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं पाल रखी थीं.
उन्होंने कहा कि मामले की जांच कर रही अपराध शाखा ने अब तक 50 से अधिक व्यक्तियों के बयान दर्ज किए हैं. जांच से पता चला है कि एमएचबी पुलिस स्टेशन में नोरोन्हा के खिलाफ दर्ज कथित बलात्कार के मामले की जानकारी घोसालकर द्वारा अमेरिकी दूतावास को दिये जाने के बाद नोरोन्हा परेशान हो गया था. अमेरिकी दूतावास ने उसका वीजा रद्द कर दिया था. नोरोन्हा को अमेरिका से लौटने के बाद मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार भी किया गया था और जमानत मिलने से पहले उन्हें 84 दिन सलाखों के पीछे बिताने पड़े थे.
पुलिस के पहले बयानों के अनुसार, अपनी रिहाई के बाद, नोरोन्हा ने अक्सर घोसालकर के खिलाफ बदला लेने का इरादा व्यक्त किया था. नोरोन्हा के इंटरनेट ब्राउजिंग इतिहास का हवाला देते हुए, अपराध शाखा ने पहले कहा था कि उसने यूट्यूब और मिश्रा से बंदूक चलाने की तकनीक सीखी थी. प्रारंभ में घोसालकर के राजनीतिक अभियान में सहायता करके उनका विश्वास हासिल करने का प्रयास करते हुए, नोरोन्हा और घोसालकर ने सुलह के लिए आठ फरवरी को एक फेसबुक लाइव सत्र की योजना बनाई, जिसके दौरान नोरोन्हा के कार्यालय में घातक घटना सामने आई.
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