नयी दिल्ली, 8 अगस्त : तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने बुधवार को कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि देश दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, लेकिन इसका लाभ भारत की गरीब जनता को नहीं मिल रहा. बनर्जी ने लोकसभा में वित्त विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि इसमें असंगठित क्षेत्र के बारे में और बेरोजगारी के संकट को समाप्त करने के बारे में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है और इस समस्या का कोई स्थायी समाधान निकालना अत्यंत आवश्यक है.उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. लेकिन इसका गरीबों को कोई लाभ नहीं मिल रहा.’’ तृणमूल सदस्य ने कहा कि वित्त विधेयक में असंगठित क्षेत्र के बारे में कुछ नहीं कहा गया है, जबकि भारत के कामगारों में 92 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बेरोजगारी को कम करने के लिए अनेक योजनाओं की बात कही जा रही है लेकिन इन योजनाओं में कर्मचारियों की रोजगार सुरक्षा के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है. बनर्जी ने कहा, ‘‘एक और समस्या है कि ठेकेदार नियुक्त किये जाते हैं, उनके माध्यम से कर्मी नियुक्त किए जाते हैं. ठेकेदार की सेवा समाप्त होने पर कर्मी भी बेरोजगार हो जाते हैं. इसलिए कर्मचारियों की रोजगार सुरक्षा पर सरकार को ध्यान देना होगा.’’ उन्होंने कहा कि देश में 15 लाख डॉक्टरों की कमी है और यह भी एक बड़ी समस्या है जिस पर सरकार को सही से ध्यान देना होगा. बनर्जी ने अपने गृह राज्य पश्चिम बंगाल के लिए बजट आवंटन को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि जितना कर राज्यों से केंद्र को आता है उतने अनुपात में उन्हें केंद्र की ओर से बजट में हिस्सेदारी नहीं मिलती. यह भी पढ़ें : न्यायालय ने 2022 के पीएमएलए फैसले को लेकर पुनर्विचार संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई टाली
चर्चा में भाग लेते हुए द्रमुक के कलानिधि वीरासामी ने भी बेरोजगारी को कम करने के मोर्चे पर केंद्र सरकार को पूरी तरह विफल बताया. उन्होंने कहा कि देश में सूक्ष्म, मध्यम एवं लघु उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र खुद को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है और हजारों उद्यम बंद हो गए हैं. वीरासामी ने कहा कि एक समझ के अनुसार देश में कर संग्रह में प्रत्यक्ष कर की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत और अप्रत्यक्ष कर की 40 प्रतिशत अपेक्षित होती है. उन्होंने कहा कि अप्रत्यक्ष कर में जीएसटी के रूप में गरीब लोग भी योगदान कर रहे हैं और यह प्रत्यक्ष कर से अधिक हो गया है. द्रमुक सांसद ने इसके पीछे कॉरपोरेट को कर में दी जा रही छूट को कारण के रूप में गिनाया. उन्होंने जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पर लागू 18 प्रतिशत जीएसटी वापस लिए जाने की मांग केंद्र सरकार से दोहराई. कांग्रेस की आर सुधा ने चर्चा में भाग लेते हुए दावा किया कि केंद्र सरकार समग्र शिक्षा अभियान के तहत तमिलनाडु में स्कूली शिक्षा के लिए देय अपने हिस्से के धन का आवंटन नहीं कर रही.