कोलकाता, 15 अप्रैल बंगाली नववर्ष ‘पोइला बैसाख’ पर शनिवार को यहां अलग-अलग इलाकों में झांकियां निकाली गयीं, दक्षिणेश्वर काली मंदिर तथा कालीघाट के काली मंदिर में बड़ी संख्या में लोग पूजा-अर्चना करने और खुशहाल नववर्ष का आशीर्वाद पाने के लिए पहुंचे।
भीषण गर्मी के बावजूद पारंपरिक वेश-भूषा में लोगों ने प्रभात फेरी में हिस्सा लिया और टैगोर के गीत ‘हे नोतुन देखा दिक अरबार’ का गायन किया। इन झांकियों में ग्रामीण जनजीवन तथा डोली आदि दर्शाये गये थे।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘‘पोइला बैसाखी के मौके पर मैं प्रदेश के सभी लोगों को हार्दिक बधाई देती हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं कामना करती हूं कि नए साल की सुबह आपके जीवन में आशा, खुशी और बेहतर स्वास्थ्य लेकर आए। आज, आइए समाज के समावेशी कल्याण और विकास के लिए प्रतिबद्ध हों। शुभो नवो बोरशो!’’
राजदंगा नबा उदय संघ द्वारा निकाले गये जुलूस में महिलाओं ने लाल किनारे वाली साड़ी पहन रखी थी और वे टैगोर के गाने ‘ऐसो ही बैसाब ऐसो एसो’ पर नृत्य कर रही थी। यह संघ पुरस्कार विजेता दुर्गा पूजा समिति है। गोल पार्क -रासबिहारी क्षेत्र और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स बिल्डिंग क्षेत्रों में ऐसी ही रैलियां निकाली गयीं।
‘नबोबरशो’ (बंगाली नववर्ष 1430) के इस मौके पर दुर्गा पूजनोत्सव के वास्ते ठाकुरपुकुर एस बी पार्क सर्बोजनिन ने ‘खुटी’ पूजा की , जिसके तहत छह माह तक देवी के ठहरने का इंतजाम किया जाता है। इस पूजा समिति को दुर्गा पूजा में दूसरा स्थान मिला था।
बंगाली नववर्ष को ‘हलखाता’ भी कहा जाता है, इस दिन कारोबारी लेन-देन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग अपने आसपास की गहने की दुकान, कपड़े की दुकान, मिठाई की दुकान आदि पर पहुंचे।
एक ऐतिहासिक कदम के तौर पर राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने शनिवार को लोगों को राजभवन के कुछ हिस्सों में ‘हेरीटेज वाक’ की अनुमति देने का फैसला किया।
भजहरि मन्ना, सप्तपदी, छह बॉलीगंज प्लेस, भूतेर राजा दिलो बार, ओह कलकत्ता, कस्तूरी आदि लोकप्रिय रेस्तरां एवं अन्य भोज्य बिक्री केंद्रों ने विशिष्ट स्थानीय व्यंजनों की व्यवस्था की थी। गर्मी के बावजूद इन केंद्रों पर भारी भीड़ थी।
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