तिरुवनंतपुरम, 30 दिसंबर केरल में 2012 के सनसनीखेज टीपी चंद्रशेखरन हत्याकांड के दोषी कोडी सुनी को पैरोल दिए जाने से राज्य में एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।
कांग्रेस-नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने सोमवार को आरोप लगाया कि वामपंथी सरकार का यह फैसला कानून व्यवस्था और कानून के शासन को खुली चुनौती है।
रेवॉल्यूशनरी मार्क्सिस्ट पार्टी (आरएमपी) के नेता चंद्रशेखरन की चार मई, 2012 को कोझिकोड जिले के ओंचियाम में हमलावरों के एक गिरोह ने बेरहमी से हत्या कर दी थी। इस घटना में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेताओं पर साजिश रचने का आरोप है।
हत्या के मामले में दोषी कोडी सुनी को तवनूर जेल में रखा गया है। उसे केरल राज्य मानवाधिकार आयोग की सिफारिश के आधार पर जेल पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने 30 दिनों के लिए पैरोल दी है।
सुनी को छह साल में पहली बार कथित तौर पर 28 दिसंबर को पैरोल पर रिहा किया गया।
अपराधी की मां द्वारा दर्ज शिकायत पर विचार करते हुए, मानवाधिकार आयोग ने हाल ही में एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि पुलिस रिपोर्ट के आधार पर कैदियों को पैरोल देने का विशेषाधिकार सरकार को सौंपा गया है।
आदेश में कहा गया है कि मानवाधिकार आयोग पैरोल देने का आदेश जारी नहीं कर सकता है या इसके लिए सिफारिश नहीं कर सकता है।
हालांकि, आयोग ने अपने आदेश में सिफारिश की है कि जेल और सुधार सेवाओं के निदेशक इस बात की जांच करें कि क्या मामले में ‘मानवीय पहलू’ पर विचार किया जाना चाहिए।
मानवाधिकार आयोग के न्यायिक सदस्य के. बिजुनाथ ने आदेश में यह भी बताया कि सुनी की मां ने दलील दी थी कि उनके बेटे को पिछले छह वर्षों से पैरोल नहीं दी गई है और उसे 12 वर्षों में केवल 60 दिनों के लिए पैरोल दी गई है।
हालांकि, कोडी सुनी को दिए गए पैरोल का कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और चंद्रशेखरन की विधवा, केके रेमा (विधायक) ने विरोध किया। उनलोगों को संदेह है कि इस कदम के पीछे मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और उनके ‘दरबारियों’ का हस्तक्षेप है।
विपक्षी नेता वी डी सतीशन ने कहा कि सुनी को एक महीने की पैरोल देने का सरकार का फैसला कानून व्यवस्था और कानून के शासन के लिए एक खुली चुनौती है।
सतीशन ने आरोप लगाया, ‘‘यह संदेह है कि पैरोल देने के पीछे एक साजिश है, जिसकी जानकारी माकपा के शीर्ष नेतृत्व को थी।’’
चंद्रशेखरन (52) की एक गिरोह ने उस समय हत्या कर दी थी, जब वह बाइक से घर लौट रहे थे।
केरल में तत्कालीन यूडीएफ सरकार ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया था।
कोझिकोड अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने 2014 में 11 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और एक अन्य आरोपी लंबू प्रदीप को तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी।
दोषियों में माकपा के स्थानीय नेता के. सी. रामचंद्रन और दिवंगत पी. के. कुन्हनंदन शामिल थे।
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