देश की खबरें | जमात-ए-इस्लामी हिंद की 2025 को ‘सांप्रदायिक सद्भाव, विश्वास और समझ का वर्ष’ बनाने की अपील

नयी दिल्ली, दो जनवरी मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद ने साल 2025 को ‘सांप्रदायिक सद्भाव, विश्वास और समझ का वर्ष’ बनाने की देशवासियों से अपील करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि कुछ लोग निहित स्वार्थों के कारण देश की विविधता में एकता की ‘दीर्घकालिक विरासत’ को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। संगठन ने एक बयान में यह टिप्पणी की है।

इसी के साथ जमात ने उत्तर प्रदेश के संभल जिले में नंवबर माह में हुई हिंसा के बाद पुलिस और अन्य विभागों की कार्रवाइयों को ‘‘मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाकर उत्पीड़न करने की एक खतरनाक प्रवृत्ति का हिस्सा’’ बताया है।

बयान के मुताबिक, संगठन के उपाध्यक्ष सलीम इंजीनियर ने यहां पत्रकारों से कहा कि भारत की सांप्रदायिक सद्भाव और विविधता में एकता की विरासत की रक्षा के लिए 2025 को "सांप्रदायिक सद्भाव, विश्वास और समझ का वर्ष" के रूप में नामित करने की योजना बनाई गई है।

उन्होंने कहा, “ हजारों वर्षों से हमारे धर्मगुरुओं और संस्थाओं ने इस विरासत को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दुर्भाग्यवश, कुछ लोग अपने निहित स्वार्थों के लिए इस दीर्घकालिक विरासत को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।”

इंजीनियर ने कहा कि सांप्रदायिकता ने राष्ट्र को गंभीर नैतिक, आध्यात्मिक और भौतिक क्षति पहुंचाई है, तथा सदियों से “हमारी ताकत रही एकता के ताने-बाने को नष्ट कर दिया है। अब समय आ गया है कि हम इस चुनौती को पहचानें और इससे निपटने के लिए सामूहिक रूप से काम करें।”

वहीं, संगठन के दूसरे उपाध्यक्ष मलिक मोआतसिम खान ने आरोप लगाया कि 24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर भड़की हिंसा के बाद “राजनीतिक रूप से प्रेरित अभियान” के तहत बिजली चोरी, भारी जुर्माना और प्राथमिकियां दर्ज कर अल्पसंख्यक समुदाय को डराने की कोशिश की जा रही है और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि जमात इसकी कड़ी निंदा करती है तथा उत्तर प्रदेश सरकार से इन ‘लक्षित कार्रवाइयों’ को तुरंत रोकने, कानून के शासन को बनाए रखने और संभल में प्रभावित परिवारों और व्यक्तियों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की मांग करती है।

संभल में स्थानीय अदालत के आदेश पर 19 नवंबर, 2024 को एक मुगलकालीन मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया। इसके बारे में हिंदू समूहों का दावा है कि इस स्थल पर पहले हरिहर मंदिर था। इस मस्जिद में 24 नवंबर को दूसरी बार सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क उठी जिस दौरान हिंसा में चार लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।

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