नेपाल ने मानचित्र को अद्यतन करने को लेकर संसद में चर्चा टाली

नेपाल की संसद में देश के मानचित्र को अद्यतन करने को लेकर होने वाली चर्चा को बुधवार को टाल दिया गया. दरअसल, संविधान संशोधन से जुड़े विधेयक को अंतिम समय में कार्यसूची से हटा दिया. सत्तारुढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी को नेशनल एसेंबली में दो तिहाई बहुमत हासिल है, लेकिन निचले सदन में संविधान संशोधन प्रस्ताव को पारित कराने के लिए इसे दूसरे दलों का समर्थन चाहिए.

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (Photo Credits: Twitter)

काठमांडू, 28 मई: नेपाल की संसद में देश के मानचित्र को अद्यतन करने को लेकर होने वाली चर्चा को बुधवार को टाल दिया गया. दरअसल, संविधान संशोधन से जुड़े विधेयक को अंतिम समय में कार्यसूची से हटा दिया. संसद के सूत्रों ने यह जानकारी दी. नेपाल (Nepal) ने भारत के साथ सीमा विवाद के बीच एक नया मानचित्र जारी किया है जिसमें उसने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्र में दिखाया गया है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय आम सहमति बनाने का फैसला किया है.

संविधान संशोधन प्रस्ताव मंगलवार को संसद में पेश किया गया था लेकिन इसपर चर्चा नहीं हो सकी क्योंकि ओली ने कहा था कि वह इस मुद्दे पर चर्चा के लिये सर्वदलीय बैठक करना चाहते हैं. सूत्रों ने कहा कि बढ़ते तनाव के बीच ओली इस मुद्दे पर अन्य दलों के विचार जानना चाहते हैं और संविधान संशोधन प्रस्ताव पर आगे बढ़ने से पहले राष्ट्रीय आम सहमति के लिये सर्वदलीय बैठक बुलाई है.

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नेपाल द्वारा लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को अपने क्षेत्र के रूप में दिखाने के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने बुधवार को स्पष्ट रूप से कहा कि उसे किसी भी कृत्रिम विस्तार से बचना चाहिए. विदेश मंत्रालय ने कहा कि नेपाल के संशोधित नक्शे में भारतीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया है और काठमांडू को इस तरह के अनुचित मानचित्रीकरण दावे से बचना चाहिए.

मंगलवार को जारी किए गए संसद के कार्यक्रम के अनुसार कानून, न्याय एवं संसदीय मामलों के मंत्री शिवमया तुंबांगफे को बुधवार को संसद में चर्चा के लिए विधेयक पेश करना था, लेकिन ओली के नेतृत्व वाली सरकार के अनुरोध पर इसे अंतिम समय में संसद की कार्यसूची से हटा दिया गया.

सत्तारुढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) को नेशनल एसेंबली में दो तिहाई बहुमत हासिल है, लेकिन निचले सदन में संविधान संशोधन प्रस्ताव को पारित कराने के लिए इसे दूसरे दलों का समर्थन चाहिए. निचले सदन में एनसीपी के पास 10 सदस्यों की कमी है.

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