NEET प्रवेश परीक्षा छात्रों के हित में, शीर्ष अदालत के दिशा-निर्देशों के अनुरूप: प्रीति सूदन
मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (नीट) स्नातक को लेकर उत्पन्न विवाद तमिलनाडु में कुछ छात्रों के आत्महत्या करने की खबर के बाद गहरा गया है.
नयी दिल्ली, 19 सितंबर : मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (नीट) स्नातक को लेकर उत्पन्न विवाद तमिलनाडु में कुछ छात्रों के आत्महत्या करने की खबर के बाद गहरा गया है. इसके चलते तमिलनाडु सरकार ने राज्य विधानसभा में एक विधेयक पारित किया है जो कहता है कि राज्य के छात्र अब नीट प्रवेश परीक्षा में हिस्सा नहीं लेंगे, लेकिन इस फैसले के औचित्य को लेकर चर्चा तेज हो गई है. पेश हैं कि इस संबंध में पूर्व स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन से के पांच सवाल और उनके जवाब :
सवाल : नीट प्रवेश परीक्षा आजकल सुर्खियों में है, तमिलनाडु सहित कुछ वर्गों की ओर से इसको लेकर अलग-अलग सवाल उठाए जा रहे हैं, इसपर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
जवाब : इंजीनियरिंग, प्रबंधन, वास्तुकला सहित जितने भी पेशेवर पाठ्यक्रम हैं, उनमें दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा होती है. राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (नीट) से पहले मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए हर राज्य अपने स्तर पर प्रवेश परीक्षा लेता था. इसके कारण छात्रों को काफी परेशानी होती थी. ऐसे में मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए 2013 में राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रवेश परीक्षा आयोजित करने पर काम शुरू हुआ. यह मामला उच्चतम न्यायालय में गया और शीर्ष अदालत के साल 2016 के निर्देशों के तहत नीट परीक्षा आयोजित की जा रही है. ऐसे में अब नीट प्रवेश परीक्षा खत्म करने या इससे अलग होने को लेकर क्यों चर्चा हो रही है, यह समझ से परे है.
सवाल : तमिलनाडु विधानसभा में एक विधेयक पारित हुआ है जिसमें नीट परीक्षा से अलग होने का प्रावधान है. आप इस फैसले को कैसे देखती हैं?
जवाब : विधेयक पेश करने या पारित होने का विषय राज्य सरकार का मामला है. लेकिन हमें यह ध्यान देना होगा कि नीट प्रवेश परीक्षा की व्यवस्था से अलग होने के बाद भी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए वे प्रवेश परीक्षा लेंगे. ऐसे में नीट परीक्षा के विरोध को लेकर तर्क सही नहीं दिखता है. नीट स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा के परिणाम पर ध्यान दें तो तमिलनाडु के छात्रों का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है. नीट स्नातक स्तर की प्रवेश परीक्षा में भी तमिलनाडु के छात्र बड़ी संख्या में सफल रहे हैं. नीट प्रवेश परीक्षा का ढांचा काफी हद तक उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के तहत है, ऐसे में इस विषय पर कानूनी रूप से विचार करना पड़ेगा. यह भी पढ़ें : Punjab Politics: उम्मीद है कि अमरिंदर कांग्रेस के लिए नुकसान पहुंचाना वाला कदम नहीं उठाएंगे- अशोक गहलोत
सवाल : हाल ही में कुछ छात्रों की आत्महत्या की खबरों के बाद नीट प्रवेश परीक्षा का विरोध बढ़ गया है और इसका प्रारूप बदलने की मांग की जा रही है. इसपर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
जवाब : सबसे पहले हमें अपने बच्चों को भावनात्मक एवं मानसिक रूप से दृढ़ बनाना होगा क्योंकि परीक्षा परिणाम निकलने से पहले ही आत्महत्या की घटनाएं सामने आई हैं. बच्चों के ऊपर इतना दबाव न डालें कि तुम्हें सफल होना ही होगा. नीट प्रवेश परीक्षा में भौतिकी, रसायन एवं जीव विज्ञान विषय के 180 सवालों के जवाब देने होते हैं और यह क्षेत्रीय ओं सहित 13 ओं में होती है. राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) साल 2019 से यह परीक्षा आयोजित कर रही है. इससे पहले सीबीएसई आयोजित करती थी. सभी राज्य बोर्डों एवं राष्ट्रीय स्तर पर पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर प्रश्नपत्र तैयार किए जाते हैं. काफी संस्थागत एवं पेशेवर तरीके से परीक्षा आयोजित की जाती है. अगर सुधार के लिए कोई सुझाव आता है तब निश्चित तौर पर सरकार को विचार करना चाहिए.