
नयी दिल्ली, 05 सितंबर: ई-सिगरेट जैसे उपकरणों को लगातार तकनीकी रूप से उन्नत किया जा रहा है और इसके परिणामस्वरूप ये उपकरण बच्चों और युवाओं को देखने में अच्छे लग सकते हैं और लुभा सकते हैं. विशेषज्ञों ने मंगलवार को यह बात कही.उन्होंने ई-सिगरेट विक्रेताओं द्वारा किये जाने वाले उपायों और तिकड़मों को उजागर करने और बच्चों को इनके प्रभावों से बचाने की जरूरत पर जोर दिया. शिक्षक दिवस के अवसर पर ‘थिंक चेंज फोरम’ (टीसीएफ) संस्था और परवरिश केयर्स फाउंडेशन ने शिक्षकों का एक सम्मेलन आयोजित किया जिसका विषय भावी पीढ़ियों को बचाना तथा स्कूली बच्चों के बीच नये समय के ‘गेटवे’ उत्पादों के उपयोग पर ध्यान देने से जुड़ा था.
इन उत्पादों में सभी तरह के ‘इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम’ (एंड्स), हीट-नॉट-बर्न (एचएनबी) उत्पाद, ई-हुक्का आदि शामिल हैं। सम्मेलन में एक परिचर्चा आयोजित की गयी और शिक्षकों के लिए 10 महत्वपूर्ण सुझाव तैयार किये गये. सम्मेलन में इस बात पर जोर दिया गया कि बड़ी अंतरराष्ट्रीय तंबाकू उत्पाद कंपनियां युवा पीढ़ियों के बीच बनी रहने के लिए खुद में बदलाव के सतत प्रयास कर रही हैं. टीसीएफ ने एक बयान में कहा, ‘‘अन्य कई उद्योगों की तरह बड़ी तंबाकू कंपनियों ने भी अपनी प्रासंगिकता फिर से बनाने के लिए तकनीकी बदलावों को अपनाया है. ई-सिगरेट या इन कंपनियों द्वारा बनाये गये ऐसे अन्य उपकरणों में तकनीकी उन्नयन किये जा रहे हैं, जिनसे ये उपकरण उपयोग में अधिक सहज बन जाते हैं और बच्चों तथा युवाओं को देखने में अच्छे लगते हैं.’’ इसमें कहा गया,‘‘अपने बच्चों को बचाने के लिए इस प्रौद्योगिकी बदलाव पर रोकथाम की तथा आक्रामक विपणन तरीकों से हमारे नौजवानों को बचाने की जरूरत है.’’
टीसीएफ के सलाहकार प्रोफेसर अमिताभ मट्टू ने कहा कि कोविड के बाद आचार-व्यवहार में बदलाव आदि की वजह से वेपिंग (ई-सिगरेट आदि से धूम्रपान) युवाओं में बीमारी बनता जा रहा है. मट्टू ने कहा, ‘‘माता-पिता, शिक्षकों और बच्चों के बीच वेपिंग के बारे में जागरुकता की कमी चिंता का विषय है। इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए लीक से हटकर समाधानों की जरूरत है, क्योंकि सरकारी प्रयास अकेले पर्याप्त नहीं हो सकते.’’ विशेषज्ञों ने इस मौके पर 10 सुझाव तैयार किये जिनमें बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक गेटवे उपकरणों को लेकर प्रचार के बदलते तरीकों के बारे में जागरुक करना, शिक्षकों, अभिभावकों और बच्चों से सक्रिय संवाद के माध्यम से मांग कम करना, धूम्रपान नहीं करने वालों को नायक के रूप में प्रस्तुत करके समावेशी जागरुकता लाना आदि हैं. फेफड़ों के रोगों के विशेषज्ञ डॉ. विकास मित्तल ने कहा, ‘‘चिकित्सक समुदाय को इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के लत के बुरे प्रभावों के बारे में अधिक बात करने की जरूरत है। डॉक्टरों को इस बात को रेखांकित करना होगा कि वेपिंग से गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.’’
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