मुंबई, 11 अगस्त भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) में ‘कोटा’ की समीक्षा जल्द पूरा करने की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि इससे आईएमएफ संकट में फंसे देशों की मदद और बेहतर तरीके से कर सकेगा।
वित्त मंत्रालय और आरबीआई द्वारा वैश्विक अर्थव्यवस्था पर आयोजित जी20 सेमिनार को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि हाल के अनुभवों से पता चलता है कि आईएमएफ की ऋण देने की परिस्थितियां ऐसी हैं कि जिस देश को तत्काल धन की आवश्यकता होती है, वे कहीं और देखने को मजबूर हो जाते हैं।
दास ने कहा कि किसी देश को आईएमएफ का समर्थन उस देश के ‘कोटा’ पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, ‘‘16वीं सामान्य कोटा समीक्षा के साथ कामकाज के संचालन से संबंधित मुद्दों को तेजी से पूरा करने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही हरित (पर्यावरण अनुकूल गतिविधियों) की ओर बदलाव के वित्तीय प्रभाव की अनदेखी नहीं की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि वित्तपोषण सहित सुधारात्मक उपाय समय पर और अधिक खुली पहुंच के आधार पर किए जाने चाहिए।
दास ने कहा, आईएमएफ का समर्थन सदस्य-देशों के कोटा आकार से जुड़ा हुआ है। कोटा की 16वीं सामान्य समीक्षा और शासन सुधारों सहित इसकी सहायक आवश्यकताओं को शीघ्रता से पूरा करने की जरूरत है।
दास ने उभरते देशों को हरित पूंजी के प्रवाह को तत्काल बढ़ाने की जरूरत भी बताई। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर ऋण आंकड़े साझा करने के लिए एक वैश्विक मंच विकसित करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक ऋण कमजोरियों को दूर करने में आईएमएफ और विश्व बैंक की महत्वपूर्ण भूमिका को कम करके आंका नहीं जा सकता क्योंकि वे अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक और वित्तीय प्रणाली के केंद्र में हैं।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इसलिए कर्ज संकट में फंसे देशों के लिए और अधिक प्रयास करना इन संस्थाओं पर निर्भर है।
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