आध्यात्मिक पथ के अनुसरण के दौरान आधुनिक विकास को अपनाने की आवश्यकताः राष्ट्रपति मुर्मू
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि यदि हम अपने मूल स्वभाव की ओर जाएं, तो आज विश्व में व्याप्त अनेक समस्याओं के समाधान प्राप्त किया जा सकता है और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलते हुए आधुनिक विकास को अपनाया जाना चाहिए।
वलसाड, 13 फरवरी : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि यदि हम अपने मूल स्वभाव की ओर जाएं, तो आज विश्व में व्याप्त अनेक समस्याओं के समाधान प्राप्त किया जा सकता है और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलते हुए आधुनिक विकास को अपनाया जाना चाहिए. गुजरात के वलसाड जिले में जैन धर्म से जुड़े आध्यात्मिक केंद्र श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि आज ज्यादातर लोग भौतिक सुख और संपत्ति पाने की ऐसी दौड़ में लगे हैं जिसका कोई सुखद अंत नहीं हो सकता.
उन्होंने कहा, ‘‘ वे भूल गए हैं कि उन्हें जीवन में वास्तव में क्या चाहिए। हम अपनी आध्यात्मिक संपदा को धीरे-धीरे विस्मृत करते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमें स्मरण रखना चाहिए कि धनोपार्जन के साथ-साथ मानसिक शांति, समभाव, संयम और सदाचार भी अत्यन्त आवश्यक है.’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यदि हम अपने मूल स्वभाव की ओर जाएं, तो आज विश्व में व्याप्त अनेक समस्याओं के समाधान प्राप्त हो सकते हैं.
लेकिन, इसका यह तात्पर्य नहीं है कि हम आधुनिक विकास को त्याग दें. इसका अर्थ है कि हम आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलते हुए आधुनिक विकास को अपनाएं.’’ उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया को सिखाया है कि एक व्यक्ति को दूसरे से अलग करना संकीर्णता का प्रतीक है. मुर्मू ने कहा, ‘‘उदार जीवन जीने वाले लोगों के लिए पूरी दुनिया एक परिवार है. सत्य, अहिंसा, तपस्या और उपवास देश के हर हिस्से में व्याप्त है.
भारत आंतरिक शांति की तलाश करने वाला और आध्यात्मिक विभूतियों का देश है और ऐसा ही एक व्यक्तित्व (जैन धर्म के) 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भगवान महावीर के जीवन का प्रत्येक क्षण मानव जाति के कल्याण के लिए समर्पित था. यदि कोई व्यक्ति उनके दिखाए मार्ग पर चलने में सक्षम है, तो आत्म-ज्ञान निश्चित रूप से संभव है.’’
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