ऐसे कानून की जरूरत कि सीबीआई राज्यों की सहमति के बिना जांच कर सके: संसदीय समिति
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नयी दिल्ली, 11 दिसंबर: संसद की एक समिति ने सोमवार को कहा कि कुछ राज्यों द्वारा सहमति वापस लेने से महत्वपूर्ण मामलों की जांच करने का केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का अधिकार क्षेत्र काफी सीमित हो गया है तथा इसलिए एक नया कानून बनाने की सख्त जरूरत है. उसका यह भी कहना है कि इस संघीय एजेंसी को व्यापक अधिकार देने की जरूरत है ताकि वह ‘‘राज्य की सहमति और हस्तक्षेप’’ के बिना मामलों की जांच कर सके. कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय विभाग से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने कहा कि सीबीआई के कामकाज में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कुछ उपाय किए जाने चाहिए ताकि राज्यों को भी अपने साथ भेदभाव महसूस न हो.

दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, सीबीआई द्वारा किसी भी जांच के लिए राज्य सरकार की सहमति एक आवश्यकता है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक नौ राज्यों ने मामलों की जांच के लिए सीबीआई को दी गई सहमति वापस ली है. डीएसपीई अधिनियम की धारा 6 के प्रावधान के अनुसार, राज्य सरकारें अपराधों की एक विशिष्ट श्रेणी में जांच के लिए सीबीआई को सामान्य सहमति प्रदान करती हैं.

सहमति के दायरे में शामिल नहीं रहने वाले राज्य में जांच करने के लिए सीबीआई को राज्य सरकार की सहमति की आवश्यकता होती है और एजेंसी मामले-दर-मामले के आधार पर ऐसी सहमति मांगती है. समिति ने कहा, ‘‘आज तक नौ राज्यों ने मामलों की जांच के लिए सीबीआई को दी गई सहमति वापस ले ली है.

इससे महत्वपूर्ण मामलों की निष्पक्ष और उद्देश्यपूर्ण जांच करने की सीबीआई की शक्तियों के लिए सीमाएं निर्धारित हो गईं हैं। इससे राज्यों में भ्रष्टाचार और संगठित अपराध को बढ़ावा मिलेगा.’’ उसने अनुशंसा की है कि डीएसपीई अधिनियम, 1946 के अलावा, एक नया कानून बनाने और राज्य की सहमति एवं हस्तक्षेप की आवश्यकता के बिना ऐसे महत्वपूर्ण मामलों की जांच करने के लिए सीबीआई को व्यापक अधिकार देने की सख्त जरूरत है.

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