मुंबई, आठ जनवरी शिवसेना (उबाठा) के नेता संजय राउत ने बुधवार को दावा किया कि अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अपनी प्रतिद्वंद्वी राकांपा (एसपी) में दलबदल कराने की कोशिश कर रही है।
राउत की यह टिप्पणी राकांपा नेता अमोल मितकरी के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि शरद पवार नीत राकांपा के कुछ लोकसभा सदस्य महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के संपर्क में हैं।
राकांपा (एसपी) के विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री जितेन्द्र अव्हाड ने भी अपी पार्टी के प्रमुख शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के महाराष्ट्र प्रमुख सुनील तटकरे ने प्रतिद्वंद्वी गुट के सांसदों से "बाप, बेटी को छोड़ने" के लिए कहा था।
तटकरे ने आरोपों से साफ इनकार किया और कहा कि ये बयान नवंबर 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद अपने लोगों को एकजुट रखने का राकांपा (एसपी) का एक प्रयास मात्र है।
राउत ने पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया कि राकांपा के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल और तटकरे को शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट में दलबदल कराने का काम सौंपा गया है।
फिलहाल अजित के नेतृत्व वाली राकांपा का केवल एक लोकसभा सदस्य (तटकरे) है, जबकि प्रतिद्वंद्वी राकांपा (एसपी) के आठ लोकसभा सदस्य हैं। हालांकि अजित पवार की पार्टी ने भाजपा के साथ गठबंधन के तहत विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था।
राउत ने कहा, "पार्टी (राकांपा) को केंद्र सरकार में कोई पद नहीं मिलेगा, जब तक कि वे शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट से दलबदल कराने में कामयाब नहीं हो जाते।"
दूसरी ओर, जितेन्द्र अव्हाड ने राकांपा के दोनों धड़ों के एक साथ आने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर कहा, "अगर दोनों राकांपा को एक साथ आना है तो सुनील तटकरे ने हमारे लोकसभा सदस्यों को पाला बदलने का प्रस्ताव क्यों दिया? उनका प्रस्ताव था कि 'बाप-बेटी को छोड़ो और हमारे पास आओ'....मुझे लगता है कि तटकरे खुद नहीं चाहते कि दोनों राकांपा फिर से एक हो जाएं।"
तटकरे से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने किसी भी पार्टी के लोकसभा सदस्यों को राकांपा में शामिल कराने की कोशिश की है। उन्होंने ‘पीटीआई-’ से कहा, "मैंने राजनीति में हमेशा सम्मानजनक दृष्टिकोण बनाए रखा है और किसी भी राजनीतिक दल के लोकसभा सदस्यों को यह सुझाव नहीं दिया है कि वे हमारे पाले में आ जाएं। मैं सभ्य राजनीतिक संवाद को बनाए रखने में विश्वास करता हूं, यही वजह है कि मैं "बाप-बेटी" जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने से बचता हूं।” उन्होंने कहा कि जब दिल्ली में राकांपा (एसपी) के सांसद मिलते हैं तो वह शिष्टाचार के तौर पर उनसे बात करते हैं।
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