नयी दिल्ली, 11 दिसंबर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की नेता फौजिया खान ने कहा है कि ‘उत्कृष्टता केंद्रों’ (सीईओ) द्वारा ‘गोशे’ और ‘पोम्पे’ जैसी दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों के इलाज में तत्परता नहीं दिखाए जाने से देश में ऐसे रोगियों का जीवन खतरे में पड़ रहा है।
खान ने राज्यसभा में पिछले शुक्रवार को शून्यकाल में चर्चा के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि इन दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों में अधिकतर बच्चे शामिल हैं।
सांसद ने कहा कि 30 मार्च, 2021 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति को अंतिम रूप दिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद, मंत्रालय ने इस साल मई में सभी श्रेणियों की दुर्लभ बीमारियों के रोगियों के लिए सहायता राशि बढ़ाकर प्रति मरीज 50 लाख रुपये कर दी थी, लेकिन इस घोषणा के कई महीनों बाद भी इन जानलेवा दुर्लभ आनुवंशिक बीमारियों से पीड़ित एक भी रोगी को अब तक जीवन रक्षक उपचार नहीं दिया गया है।’’
उन्होंने कहा,‘‘उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस यानी सीओई) की ओर से इस अंतहीन देरी और समय पर कदम न उठाए जाने से न केवल कई मासूम बच्चों की जान चली गई, बल्कि इसने खासकर बच्चों समेत करीब 415 रोगियों के जीवित रहने की संभावनाओं को भी खतरे में डाल दिया है।’’
उन्होंने कहा कि कुछ मरीज गोशे, पोम्पे, एमपीएस और फैब्री जैसी जानलेवा बीमारियों से पीड़ित हैं।
गोशे चयापचय संबंधी एक विकार है, जिसके कारण यकृत समेत शरीर के अन्य हिस्सों में वसा का संचय होता है। पोम्पे एक घातक बीमारी है जो हृदय और मांसपेशियों को निष्क्रिय कर देती है। फैब्री एक ऐसी जानलेवा बीमारी है जो गुर्दे और हृदय की समस्याएं पैदा कर सकती है, जबकि एमपीएस बीमारी पूरे शरीर को प्रभावित करती है।
महाराष्ट्र से राज्यसभा की सदस्य ने बताया कि इलाज के लिए सूचीबद्ध 415 में से करीब 190 रोगियों का स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा प्रदान की जाने वाली धनराशि से उपचार किया जा सकता है।
उन्होंने मांग की कि सरकार को सभी सीओई को समयबद्ध तरीके से आवेदन दाखिल करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने चाहिए।
सरकार ने मई में दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति 2021 में संशोधन किया था और दुर्लभ बीमारियों के सभी समूहों के लिए 50 लाख रुपये की मौद्रिक सहायता की घोषणा की थी, लेकिन मरीजों को सीओई और स्वास्थ्य मंत्रालय में प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं में अत्यधिक देरी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों के उपचार और देखभाल के लिए आठ सीओई अधिसूचित किए गए हैं।
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