MP: हत्या के मामले में आदिवासी एमबीबीएस छात्र बरी, 42 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक महिला की कथित हत्या के मामले में आदिवासी व्यक्ति की दोषसिद्धि को निरस्त कर दिया और पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि उसने मामले की जांच ‘‘व्यक्ति को झूठे तरीके से फंसाने के एकमात्र उद्देश्य’’ से की.

Madhya Pradesh High Court (Photo Credits: PTI)

जबलपुर (मप्र), 6 मई : मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) ने एक महिला की कथित हत्या के मामले में आदिवासी व्यक्ति की दोषसिद्धि को निरस्त कर दिया और पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि उसने मामले की जांच ‘‘व्यक्ति को झूठे तरीके से फंसाने के एकमात्र उद्देश्य’’ से की. अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि वह संबंधित व्यक्ति को 42 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करे क्योंकि उसे ‘‘न्याय के इंतजार’’ में 13 साल से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा है. अदालत ने कहा कि यह मामला ‘‘दुर्भावना और पूर्वाग्रह से प्रेरित जांच की घिनौनी गाथा’’ का खुलासा करता है. उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि व्यक्ति की दोषसिद्धि और कैद ने उसके पूरे जीवन को ‘‘अस्त-व्यस्त’’ कर दिया.

चंद्रेश मार्सकोले को कथित हत्या के सिलसिले में 2008 में तब गिरफ्तार किया गया था जब वह भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में थे. उन पर राज्य के पचमढ़ी में अपनी प्रेमिका की हत्या करने और उसके शव को ठिकाने लगाने का आरोप था. अब उनकी उम्र करीब 34 साल है. न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति सुनीता यादव की पीठ ने बुधवार को हत्या के मामले में मार्सकोले की दोषसिद्धि को निरस्त कर दिया और निचली अदालत के 2009 के फैसले के खिलाफ उनकी अपील का निपटारा कर दिया. पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (मार्सकोले) को तुरंत रिहा किया जाएगा.’’ उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘‘यह मामला दुर्भावना और पूर्वाग्रह की भावना से की गई जांच की एक घिनौनी गाथा का खुलासा करता है, जिसके बाद दुर्भावना से प्रेरित मुकदमा चलाया गया, जहां पुलिस ने मार्सकोले को गलत तरीके से फंसाने और शायद जानबूझकर अभियोजन पक्ष के गवाह (डॉ. हेमंत वर्मा) की रक्षा करने के एकमात्र उद्देश्य से मामले की जांच की, जो हो सकता है वास्तविक अपराधी हो.’’ यह भी पढ़ें : बैतूल जिले में एक समारोह में खाने के बाद 150 से अधिक लोग हुए बीमार

अदालत के आदेश में कहा गया है, ‘‘तथ्य यह है कि याचिकाकर्ता ने न्याय की प्रतीक्षा में 13 साल से अधिक समय बिताया है और इस मामले में हम मार्सकोले को 42 लाख रुपये का मुआवजा देते हैं, जिसका भुगतान राज्य आदेश की तारीख से 90 दिनों के भीतर करेगा. इसके बाद, भुगतान की तारीख तक नौ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज लगेगा.’’

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