इंदौर (मध्यप्रदेश), तीन दिसंबर इंदौर की जिला अदालत ने 13 वर्षीय स्कूली छात्रा के लैंगिक उत्पीड़न और पहचान से जुड़े दस्तावेजों की जालसाजी के बहुचर्चित मामले में उत्तर प्रदेश के एक चूड़ी विक्रेता को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
वर्ष 2021 के इस मामले में प्राथमिकी दर्ज किए जाने से एक दिन पहले, सोशल मीडिया पर कथित वीडियो प्रसारित हुआ था जिसमें चूड़ी विक्रेता तस्लीम उर्फ गोलू (28) को एक समूह में शामिल लोग पीटते दिखाई दिए थे।
विशेष न्यायाधीश रश्मि वाल्टर ने उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के चूड़ी विक्रेता तस्लीम को बरी किए जाने का फैसला सोमवार को सुनाया।
अदालत ने 27 पन्नों के अपने फैसले में कहा कि साक्ष्यों की विवेचना से तस्लीम के खिलाफ लगाए गए आरोप साबित नहीं होते हैं।
अदालत में चली सुनवाई के दौरान अभियोजन को सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब शिकायतकर्ता नाबालिग लड़की और उसके माता-पिता ने आरोपी (तस्लीम) को पहचानने से ही इनकार कर दिया। अभियोजन के तीनों प्रमुख गवाहों ने प्राथमिकी के आरोपों को लेकर अभियोजन की कहानी का समर्थन भी नहीं किया।
अदालत ने फैसले में कहा कि अभियोजन द्वारा तीनों गवाहों को पक्षद्रोही घोषित किए जाने का सूचक प्रश्न पूछे जाने पर भी इन गवाहों ने घटना का ‘‘लेशमात्र’’ भी समर्थन नहीं किया है।
इसके अलावा, अदालत में अभियोजन पक्ष यह भी साबित नहीं कर सका कि तस्लीम ने अपना फर्जी आधार कार्ड बनाकर इसका असली के रूप में इस्तेमाल किया।
फैसले में चूड़ी विक्रेता को लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट), भारतीय दंड विधान की धारा 354 (स्त्री की लज्जा भंग करने की नीयत से उस पर आपराधिक बल का प्रयोग), धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना) और प्राथमिकी में अन्य प्रावधानों के तहत लगाए गए आरोपों से मुक्त किया गया।
फैसले के बाद तस्लीम ने ‘पीटीआई-’ से कहा,‘‘मैं बेगुनाह था। मुझे कुछ लोगों ने झूठे मामले में फंसा दिया था। हालांकि, मुझे देश के संविधान और न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा था।’’
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