नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी की शुरुआत से उपभोक्ताओं में काफी बेचैनी है. ऐसे लोग जो अधिक समृद्ध नहीं हैं, वे आर्थिक परिदृश्य को लेकर अधिक संशय की स्थिति में हैं. एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि ज्यादातर उपभोक्ताओं का मानना हे कि अगले छह माह के दौरान उनकी आमदनी कोविड-पूर्व (Covid) के स्तर से कम होगी. Corona Update: कोरोना मामलों में तेजी से गिरावट, देश में पिछले 24 घंटे में 70 हजार नए मामले हुए दर्ज
वैश्विक प्रबंधन सलाहकार कंपनी बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) द्वारा यह सर्वे 23 से 28 मई के दौरान किया गया. इसमें पहली, दूसरी, तीसरी और चौथी श्रेणी के शहरों तथा ग्रामीण भारत के 4,000 उपभोक्ताओं के विचार लिए गए.
अध्ययन में शामिल 51 प्रतिशत उपभोक्ताओं का मानना है कि अगले छह माह के दौरान उनका खर्च निचले स्तर पर रहेगा. इससे पहले 20 जुलाई से दो अगस्त, 2020 के दौरान किए गए सर्वे में ऐसा कहने वाले उपभोक्ताओं की संख्या 40 प्रतिशत थी.
सर्वे में शामिल 83 प्रतिशत लोगों का कहना था कि कोरोना वायरस उनकी नौकरी और कारोबार के लिए बड़ा जोखिम है. वहीं 86 प्रतिशत ने कहा कि महामारी की वजह से आर्थिक मंदी की स्थिति बनेगी. जहां तक आमदनी की बात है, 58 प्रतिशत लोगों का कहना था कि अगले छह माह के दौरान उनकी आय में गिरावट आएगी.
सर्वे में कहा गया है कि कम समृद्ध लोग आर्थिक परिदृश्य लेकर काफी संशय की स्थिति में थे. शहरी और समृद्ध लोगों की दैनिक जीवनशैली पर महामारी का प्रभाव अधिक नजर आ रहा है. बीसीजी इंडिया की प्रबंध निदेशक एवं भागीदार निमिषा जैन ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से लोगों में अनिश्चितता की स्थिति है, लेकिन सर्वे के दौरान कई सकारात्मक चीजें भी देखने को मिलीं.’’
जैन ने कहा, ‘‘ विभिन्न श्रेणियों में खर्च को लेकर धारणा समान तरीके से प्रभावित नहीं हुई है. आवश्यक खर्च, स्वास्थ्य, घर में मनोरंजन पर लोग खर्च करेंगे. हालांकि, कुछ विवेकाधीन खर्चों को लोग कम करेंगे.’’
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