
नयी दिल्ली, 24 मार्च तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने सोमवार को नये आयकर अधिनियम के एक प्रावधान का हवाला देते हुए लोकसभा में सवाल किया कि क्या सरकार चुनावी बॉण्ड को किसी और प्रारूप में वापस लाना चाहती है। साथ ही, आरोप लगाया कि ईडी और सीबीआई इस सरकार के लिए पेशेवर ‘कलेक्शन एजेंट’ बन गए हैं।
वित्त विधेयक 2025 पर सदन में चर्चा में हिस्सा लेते हुए मोइत्रा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने फरवरी 2024 के अपने फैसले में चुनावी बॉण्ड को असंवैधानिक करार दिया है, फिर भी नये आयकर अधिनियम, 2025 में चुनावी बॉण्ड से जुड़े प्रावधान का उल्लेख किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘क्या यह विधायी निगरानी में है। यदि निगरानी में नहीं है तो इससे जाहिर होता है कि आप विकल्प खुले रखने की कोशिश कर रहे हैं, कुछ प्रकार की प्रविष्टि के लिए, अपने पसंदीदा ‘हफ्ता कलेक्शन सिस्टम’ में।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या सरकार चुनावी बॉण्ड को किसी और प्रारूप में वापस लाना चाहती है।’’
तृणमूल कांग्रेस सदस्य ने दावा किया, ‘‘चुनावी बॉण्ड के डेटा से प्रदर्शित होता है कि घाटे में चल रही कंपनियों ने भाजपा को 434 करोड़ रुपये का चंदा दिया। जांच के दायरे में मौजूद 41 कंपनियों ने भाजपा को 2,500 करोड़ रुपये चंदा दिया। जांच का सामना कर रही 30 कंपनियों ने 335 करोड़ रुपये (भाजपा को) चंदा दिया।’’
उन्होंने यह दावा भी किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई इस सरकार के लिए पेशेवर ‘कलेक्शन एजेंट’ बन गए हैं।
तृणमूल सदस्य ने उल्लेख किया, ‘‘ईडी ने 193 मामले में मुकदमा चलाया, जिनमें केवल दो में दोषसिद्धि हुई। ईडी के 97 प्रतिशत मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ हैं जबकि भाजपा नेताओं के खिलाफ करीब 25 मामले वापस ले लिये गए।’’
उन्होंने नये आयकर अधिनियम में 10 सरकारी एजेंसियों से आंकड़े साझा करने का हवाला देते हुए सवाल किया कि अगर देश के 97 प्रतिशत लोग प्रत्यक्ष कर के दायरे से बाहर हैं तो किन लोगों की निगरानी की जाएगी, केवल दो-तीन प्रतिशत लोगों की, जो कर अदा करते हैं।
मोइत्रा ने आरोप लगाया कि अब सरकार ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट, निजी संदेशों की निगरानी करना चाहती है।
उन्होंने वित्त विधेयक का विरोध करते हुए कहा, ‘‘हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि इस सरकार की कराधान नीति दो भारत के बीच खाई को चौड़ा क्यों कर रही है? एक ओर ‘कुबेर इंडिया’ है, जो संभ्रात और विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग का है, वहीं दूसरी ओर ‘विश्वकर्मा (आम आदमी का) इंडिया’ है, जो इस सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन का खामियाजा भुगत रहा है।’’
उन्होंने हाल ही में प्रयागराज में संपन्न महाकुंभ का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे अब तक का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बताया, ‘‘लेकिन चिंता की बात यह है कि यही उप्र सरकार कुंभ के दौरान भगदड़ में मारे गए लोगों की गिनती करने में नाकाम रही।’’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) पॉडकास्ट के जरिये दुनिया भर में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के बारे में बोल रहे हैं, ‘‘हम इसका स्वागत करते हैं लेकिन चुनावी प्रक्रिया संदेहों और सवालों से परे होनी चाहिए।’’
मोइत्रा ने कहा कि वित्त मंत्री ने इस साल वोटर आईडी कार्ड के लिए 300 करोड़ रुपये, 600 करोड़ रुपये चुनावी खर्च के लिए, 19 करोड़ रुपये ईवीएम मशीन के लिए आवंटित किये हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन निर्वाचन आयोग 100 प्रतिशत वीवीपैट पेपर ट्रेल देने से मना कर रहा, 17-सी फॉर्म सार्वजनिक करने से इनकार कर रहा, यह मतदाता सूची में शामिल किये गए नये नामों और हटाये गए नामों की सूची देने से इनकार कर रहा। यह बताने से इनकार कर कर रहा कि मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) और गुजरात में कैसे डुप्लीकेट ईपीआईसी जारी किये गए।’’
उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के आवासीय परिसर से जले हुए नोट बरामद होने के मुद्दे पर कहा कि इसकी तह में जाने की जरूरत है, लेकिन ‘गोदी मीडिया’ न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर चर्चा कर रही है।
मोइत्रा ने एनजेएसी (राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयेाग) की ओर इशारा करते हुए कहा कि मीडिया का एक वर्ग यह माहौल बनाने की कोशिश कर रहा कि उच्चतर न्यायपालिका सरकार की इच्छा के अनुरूप हो।
उन्होंने दावा किया कि मीडिया के एक वर्ग में इस घटना पर हो रही चर्चा एनजीएसी वापस लाने और न्यायपालिका को सरकार के पूर्ण नियंत्रण में लाने और कॉलेजेयिम प्रणाली को खत्म करने की कवायद है।
इस पर हस्तक्षेप करते हुए भाजपा के निशिकांत दुबे ने कहा कि स्पीकर के निर्देश 115 में कहा गया है कि कोई भी सदस्य आरोप लगाते हैं, तो उसे साबित करना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि अभी एक बड़ा आरोप ईडी, सीबीआई पर लगाया गया कि वे सरकार की तरफ से पैसा वसूल करते हैं, मेरा आग्र�Framed=true',550, 550)" title="Share on Linkedin">