देश की खबरें | मोदी द्वारा कृषि कानूनों की तारीफ करना दिखाता है कि केंद्र सरकार ‘सत्ता के नशे में’ है :कांग्रेस
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 29 नवंबर नये कृषि कानूनों को किसानों के लिए लाभकारी बताने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने रविवार को कहा कि कानूनों के समर्थन में लगातार जोर देने से साबित होता है कि सरकार ‘सत्ता के नशे में’ है।

कांग्रेस ने यह मांग भी की कि प्रधानमंत्री मोदी को तत्काल तीनों कृषि संबंधी कानूनों को निलंबित करने की घोषणा करनी चाहिए।

यह भी पढ़े | Farmers Protest: पीएम मोदी के ‘मन की बात’ पर राहुल गांधी का कटाक्ष, कहा- यह समय किसानों की बात का.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भारत के 62 करोड़ किसानों और खेतिहर श्रमिकों के मुद्दों पर प्रधानमंत्री की जिद, अहंकार और अड़ियल रवैया आज के ‘मन की बात’ में उनके इस बयान में स्पष्ट दिखा कि संसद द्वारा गैरकानूनी और असंवैधानिक तरीके से पारित तीनों किसान-विरोधी, कृषि विरोधी कानून सही हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब लाखों किसान आंदोलन करते हुए और कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली के पास डेरा डाले हों, ऐसे में प्रधानमंत्री का यह कहना कि कि तीनों कानून पूरी तरह सही हैं, दिखाता है कि मोदी सरकार सत्ता के नशे में चूर है और प्रधानमंत्री मोदी को भारत के किसानों तथा खेतिहर श्रमिकों के कल्याण की कोई चिंता नहीं है।’’

यह भी पढ़े | Farmers Protest: अमित शाह ने दी सफाई, कहा- मैंने कभी भी नहीं कहा कि किसानों का आंदोलन राजनीति से प्रेरित है.

सुरजेवाला ने कहा कि सरकार तीनों ‘किसान विरोधी काले कानूनों’ पर पुनर्विचार करने तक के मामले में अड़ियल रवैया दिखा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा था कि संसद ने जिन कृषि सुधारों को मंजूरी दी है, उन्होंने किसानों के लिए नये अवसरों के द्वार खोले हैं जिनसे उन्हें नये अधिकार मिले हैं।

मोदी ने यह भी कहा कि नये कानूनों ने बहुत कम समय में किसानों की परेशानियों को कम करना शुरू कर दिया है।

सुरजेवाला ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हैदराबाद में एक राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल होने और तत्काल किसानों से नहीं मिलने को लेकर उन पर भी निशाना साधा।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘यदि भारत के गृह मंत्री के पास एक जनसभा में शामिल होने के लिए 1,200 किलोमीटर दूर हैदराबाद जाने के लिए समय है तो अमित शाह के पास 15 किलोमीटर दूर दिल्ली की सीमाओं तक जाने और आंदोलन कर रहे किसानों से बात करने का वक्त क्यों नहीं है। कृषि मंत्री ने किसानों से बातचीत के लिए तीन दिसंबर की तारीख क्यों निकाली है और उससे पहले उनसे क्यों नहीं मिला जा सकता। क्या उन्होंने इसके लिए किसी ज्योतिषी से सलाह ली है।’’

मोदी सरकार के सामने अनेक सवाल रखते हुए सुरजेवाला ने कहा, ‘‘किसानों के खिलाफ 12,000 प्राथमिकियां क्यों दर्ज की गयी हैं और उनके साथ कोई बातचीत क्यों नहीं हो रही।’’

उन्होंने भाजपा नेताओं तथा भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों पर किसानों को ‘आतंकवादी’ की तरह पेश करने का आरोप लगाया और सवाल किया कि ‘‘मोदी सरकार द्वारा सहायता प्राप्त कुछ चुनिंदा टीवी चैनल 62 करोड़ किसानों को राष्ट्र-विरोधी साबित करने पर क्यों अड़े हैं।’’

सुरजेवाला ने आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चार-पांच पूंजीपति दोस्तों के लिए किसानों के हितों की बलि चढ़ाना चाहते हैं और चाहते हैं कि 20-25 लाख करोड़ रुपये का कमोडिटी मार्केट उनके चार-पांच उद्योगपति दोस्त चलाएं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब 62 करोड़ किसान एकजुट हो जाएंगे तो ‘दिल्ली दरबार’ सत्ताहीन हो जाएगा और यह चेतावनी नहीं बल्कि प्रधानमंत्री के लिए एक चुनौती है।’’

कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को किसानों के साथ हुए बर्ताव के लिए माफी मांगनी चाहिए और प्रधानमंत्री को व्यक्तिगत रूप से किसानों के शिष्टमंडल से बात करनी चाहिए।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)