जयपुर, 19 अप्रैल राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को कहा कि सोमवार से शुरू होने वाले संशोधित लॉकडाउन का यह कतई मतलब नहीं है कि लोग घरों से बाहर निकल सकते हैं। उन्होंने अपील की कि लोग किसी सूरत में अपना जीवन खतरे में न डालें और लॉकडाउन का उसी तरह पालन करें, जैसे वे अब तक करते रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों के अतिरिक्त कोई बाहर निकला तो कार्रवाई होगी।
उन्होंने कहा कि इसी महीने शुरू होने वाले रमजान एवं अक्षय तृतीया के अवसर पर लोग लॉकडाउन का पूरी तरह पालन करें। उन्होंने धर्मगुरूओं, जनप्रतिनिधियों, एनजीओ आदि से अपील की है कि वे लॉकडाउन पालन करवाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं।
गहलोत ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संवाददाताओं से कहा कि आवश्यक सेवाओं के अतिरिक्त अन्य सरकारी कार्यालयों में 20 अप्रेल से 33 प्रतिशत कार्मिकों को बारी-बारी के आधार पर बुलाने के निर्णय को फिलहाल टाल दिया गया है, अभी केवल सचिव, विभागाध्यक्ष और उप सचिव स्तर के अधिकारी एवं उनका निजी स्टाफ ही दफ्तर आएंगे। मुख्यमंत्री के अनुसार आगे इस संबंध में चरणबद्ध रूप से निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि संशोधितड लॉकडाउन में नगरपालिका के बाहर ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग शुरू हो सकेंगे तथा शहरी क्षेत्रों में उन्हीं उद्योगों को सीमित छूट दी गई है, जिनमें श्रमिकों को फैक्ट्री में रखने की उचित व्यवस्था उपलब्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आवश्यक सेवाओं के लिए पूर्व में जो पास जारी किए गए हैं, वे आगे भी मान्य होंगे। नए ई-पास ऑनलाइन बनाए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने प्रदेश के अंदर विभिन्न जिलों में कैम्पों में अटके श्रमिकों को राज्य में स्थित उनके कार्यस्थलों पर पहुंचने की छूट दे दी है, लेकिन इससे पूरी तरह समस्या हल नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि राजस्थान की समस्या अन्य राज्यों से भिन्न है। बड़ी संख्या में यहां के श्रमिक देश के लगभग सभी राज्यों में मौजूद हैं। वे कोरोना महामारी के कारण तनाव में हैं और एक बार अपने-अपने घर जाना चाहते हैं। ऐसे में भारत सरकार को राजस्थान की परिस्थिति को ध्यान में रखकर उन्हें अपने घर पहुंचाने की छूट देनी चाहिए, ताकि उनका कॉन्फिडेंस मजबूत हो सके और वे कुछ समय बाद फिर अपने-अपने काम पर लौट सकें। इसके लिए हम भारत सरकार को पुनः पत्र लिखकर छूट देने का आग्रह करेंगे।
गहलोत ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार कोटा में पढ़ रहे कोचिंग स्टूडेंट्स को अपने राज्य में लेकर गई है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्य भी इस दिशा में पहल करें, ताकि बच्चों का तनाव दूर हो सके और संकट की इस घड़ी में वे परिवार के साथ रह सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के कारण राज्य की आय एवं राजस्व संग्रहण में 60 से 70 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। आर्थिक मंदी और कोरोना के कारण राजस्थान को इस वर्ष करीब 18 हजार करोड़ रूपए के राजस्व की हानि हुई है।
उन्होंने कहा कि मार्च के अंतिम सप्ताह में ही करीब 3500 करोड़ रूपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। इस स्थिति का सामना करने के लिए केंद्र सरकार को विशेष पैकेज देना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के जांच लंबित नहीं रहे, इसके लिए हमारी सरकार ने करीब चार हजार सैम्पल्स जांच के लिए दिल्ली भिजवाए हैं। ऐसी पहल करने वाला राजस्थान पहला राज्य है। इससे कोरोना की रिपोर्ट के लिए बैकलॉग एवं इंतजार खत्म होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि मंडियों में कृषि जिंसों की खरीद में सोशल डिस्टेंसिंग प्रोटोकॉल की पालना हो। साथ ही किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य भी मिले।
वीडियो कॉन्फ्रेसिंग में कई शीर्ष अधिकारी उपस्थित थे।
कुंज
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