नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) ने 2021-22 की आर्थिक समीक्षा (Economic Review) पेश होने के बाद सोमवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) ने ‘घोर आर्थिक कुप्रबंधन’ किया है और उसे जनता का दर्द नहीं, सिर्फ अपना खजाना दिखता है. मुख्य विपक्षी दल (Opposition Party) ने यह भी कहा कि सरकार को ‘पश्चाताप करते हुए’ अपने रवैये में बदलाव करना चाहिए. Congress ने केंद्र सरकार पर लगाए गंभीर आरोप, कहा- 84 फीसदी परिवारों की आय में गिरावट आई, मध्यम वर्ग को कोई राहत नहीं
काग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘देश की जनता टैक्स वसूली के बोझ से परेशान है, जबकि मोदी सरकार के लिए ये टैक्स की कमाई एक बड़ी उपलब्धि है. नज़रिए का अंतर है- उन्हें जनता का दर्द नहीं, सिर्फ़ अपना ख़ज़ाना दिखता है.’’
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘‘आर्थिक समीक्षा में वही पुरानी बात दोहराई गई है कि 2021-22 के आखिर में अर्थव्यवस्था सुधार के साथ महामारी के पूर्व (2019-20) के स्तर पर पहुंच जाएगी. दो वर्षों में करोड़ों नौकरियां चली गईं, 84 प्रतिशत परिवारों की आय घट गई, 4.6 करोड़ लोग गरीबी की गिरफ्त में चले गए और भारत वैश्विक भूख सूचकांक में 116 देशों में 104 वें स्थान पर है.’’
चिदंबरम ने कहा, ‘‘यह पश्चाताप और रवैया में बदलाव का समय है, डींगें हांकने और यथावत बने रहने का समय नहीं है.’’
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘आर्थिक समीक्षा इसकी बेहतरीन मिसाल है कि आंकड़े कुछ और कहते हैं और वास्तविकता कुछ और है. इस बात का स्पष्ट पता चलता है कि अर्थव्यवस्था में मूलभूत कमजोरी है और मोदी सरकार द्वारा घोर आर्थिक कुपब्रंधन किया गया है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘आंकड़ों से पता चलता है कि 2021-22 में अर्थव्यवस्था का आकार 2019-20 के बराबर होगा. सरकार की गलत प्राथमिकताओं के कारण, जो आर्थिक बर्बादी हुई है, उसके लिए उसे शर्म करनी चाहिए.’’
भारतीय अर्थव्यवस्था अगले वित्त वर्ष (2022-23) में 8-8.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को संसद में पेश 2021-22 की आर्थिक समीक्षा में यह अनुमान जताया गया है. समीक्षा के मुताबिक, 2022-23 का वृद्धि अनुमान इस धारणा पर आधारित हैं कि आगे कोई महामारी संबंधी आर्थिक व्यवधान नहीं आएगा, मॉनसून सामान्य रहेगा, कच्चे तेल की कीमतें 70-75 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहेंगी और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के व्यवधान इस दौरान लगातार कम होंगे.
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