अहमदाबाद, एक अगस्त गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी ने शनिवार को दावा किया कि बनासकांठा जिले के एक गांव में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया है, जिसमें गांव के करीब 500 लोगों के बैंक खाते उनकी जानकारी के बगैर खोले गए ताकि उसमें मनरेगा योजना के तहत धन का अंतरण किया जा सके।
निर्दलीय विधायक ने कहा कि अमीरगढ़ तहसील के बलुंदरा गांव में यह घोटाला तब प्रकाश में आया, जब कोविड-19 के कारण आर्थिक रूप से प्रभावित कुछ ग्रामीण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत काम मांगने गए थे लेकिन उन्हें बताया गया कि उनके नाम योजना में पहले से पंजीकृत हैं।
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मेवानी ने आरोप लगाया कि इसी तरह के घोटाले गुजरात के कई अन्य गांवों में चल रहे हैं, जिसमें बनासकांठा जिले का उनका विधानसभा क्षेत्र वडगाम भी शामिल है, जहां ग्रामीणों को लाभार्थी दिखाकर धन का गबन दूसरे लोगों द्वारा किया जा रहा है।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘करीब 500 लोग बलुंदरा गांव में कभी भी मनरेगा के तहत दैनिक मजदूरी के लिए नहीं गए। बहरहाल, कागज पर उन्हें काम करते दिखाया गया। उनकी नौकरी का कार्ड बना और उनके नाम से बैंक में खाते खुले। बैंक पासबुक और एटीएम कार्ड भी हासिल कर लिए गए और धन का गबन किया गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बलुंदरा में यह घोटाला आठ-नौ वर्षों से चल रहा है। कुछ सरकारी अधिकारियों एवं अन्य लोगों ने ग्रामीणों को लाभार्थी बता कर नौ करोड़ से दस करोड़ रुपये तक गबन कर लिए।’’
मेवानी ने आरोप लगाया कि ग्रामीणों से कहा जाता था कि वे अपने हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान दें, ताकि उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके। इसके बाद ग्रामीणों के नाम से बैंक खाता खोल लिया जाता था।
मेवानी ने कहा कि अपने आरोपों को साबित करने के लिए उनके पास दस्तावेजी साक्ष्य हैं और वह इस बारे में जल्द ही थाने में शिकायत दर्ज कराएंगे।
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