नयी दिल्ली, 21 अगस्त दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को कहा कि कथित तौर पर मुसलमानों से बदला लेने को बनाए गए व्हाट्सएप समूह के सदस्यों ने अपना विवेक खो दिया और भीड़ की सोच के साथ काम करना शुरू कर दिया।
अदालत ने फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान एक निवासी की हत्या के मामले में नौ लोगों के खिलाफ दायर आरोपपत्र का संज्ञान लेते हुए यह टिप्पणी की।
अदालत ने कहा कि मुसलमानों से बदला लेने के लिए व्हाट्सएप पर ''कट्टर हिंदू एकता'' नाम का समूह बनाने वाले कुछ युवा कथित तौर पर दुष्प्रचार की ''अथक मूर्खता'' को महसूस करने में विफल रहे।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने हाशिम अली की कथित हत्या के मामले में नौ लोगों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी रूप से एकत्र होने, हत्या और आपराधिक साजिश का संज्ञान लिया।
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अदालत ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए 28 अगस्त को सभी आरोपियों लोकेश कुमार सोलंकी, पंकज शर्मा, सुमित चौधरी, अंकित चौधरी, प्रिंस, ऋषभ चौधरी, जतिन शर्मा, विवेक पांचाल और हिमांशु ठाकुर को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश करने का निर्देश दिया।
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, '' मेरा विचार है कि आरोपियों द्वारा कथित तौर पर किए गए अपराधों का संज्ञान लेने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री है।''
अदालत ने कहा कि गवाहों और आरोपपत्र के बयानों से प्रथम दृष्टया यह पता चला कि आरोपी व्यक्तियों ने सोच-समझ कर साजिश रची थी।
गौरतलब है कि आरोपियों ने 26 फरवरी को भगीरथी विहार नाले की पुलिया के पास हाशिम अली की बेरहमी से हत्या कर शव को नाले में फेंक दिया था। 27 फरवरी को गोकुलपुरी इलाके में नाले से शव बरामद किया गया था।
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