नयी दिल्ली, नौ अगस्त सरकार स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए एक ही चार्जर लाने की संभावनाएं तलाश रही है और इसपर चर्चा के लिए उसने अगले हफ्ते हितधारकों की बैठक भी बुलाई है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए अलग-अलग चार्जर की जरूरत खत्म करने के लिए एक ही चार्जर लाने की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर न केवल उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ कम पड़ेगा बल्कि ई-कचरा कम करने में भी मदद मिलेगी।
अधिकारी के मुताबिक, ‘कॉमन चार्जर’ की संभावनाएं तलाशने के लिए 17 अगस्त को मोबाइल फोन विनिर्माताओं और इस क्षेत्र से जुड़ी उपकरण बनाने वाली कंपनियों को बैठक के लिए बुलाया गया है।
इस अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर मोबाइल कंपनियां यूरोप और अमेरिकी बाजारों में एक चार्जिंग प्रणाली अपना सकती हैं, तो फिर वे ऐसा भारत में क्यों नहीं कर सकती हैं? स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में एक कॉमन चार्जर होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि अगर भारत इस तरह के बदलाव के लिए जोर नहीं देता है तो इस तरह के उपकरणों को भारत में लाकर डंप किया जा सकता है।
यूरोपीय संघ ने हाल ही में छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए वर्ष 2024 तक यूएसबी-सी पोर्ट वाले कॉमन चार्जिंग मानक को लागू करने की घोषणा की है। इस तरह की मांग अमेरिका में भी जोर पकड़ रही है।
मौजूदा समय में किसी भी नए स्मार्टफोन या टैबलेट की खरीदारी के समय उपभोक्ताओं को अलग से चार्जर भी खरीदना पड़ता है। इसकी वजह यह है कि पुराना चार्जर नए उपकरण के साथ काम नहीं कर पाता है।
प्रेम
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