लखनऊ, आठ जनवरी नोएडा में दो गर्भवती महिलाओं के प्रति चिकित्सकीय उदासीनता की खबरों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भेजा।
आयोग ने अपनी विज्ञप्ति में कहा कि उसने गौतमबुद्ध नगर और नोएडा में दो गर्भवती महिलाओं के प्रति विभिन्न सरकारी एवं निजी अस्पतालों द्वारा चिकित्सकीय उदासीनता की मीडिया खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया और उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर इस मामले में चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
आयोग की विज्ञप्ति के मुताबिक उसने केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को प्रेस क्लिपिंग की प्रतियां भेजकर प्रकरण को देखने के लिए कहा है। यह भी कहा है कि मंत्रालय सभी राज्यों और संघशासित क्षेत्रों को विशेष निर्देश जारी करे कि अस्पतालों में कोविड—19 के अलावा किसी अन्य बीमारी के उपचार के लिए इमरजेंसी में आने वाले लोगों को चिकित्सकीय उपचार से वंचित ना किया जाए।
गौतमबुद्ध नगर में नौ महीने की गर्भवती महिला की एंबुलेंस में ही मौत हो गयी। उसके उपचार के लिए परिवार वाले अस्पतालों में भटकते रहे लेकिन उपचार नहीं हुआ। यह दावा शनिवार को उसके परिजनों ने किया।
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नोएडा में हुई दूसरी घटना में 26 वर्षीय महिला को सेक्टर—30 स्थित नोएडा जिला अस्पताल में दाखिल करने से कथित रूप से इंकार कर दिया गया और परिणामस्वरूप उसने अस्पताल के बाहर फुटपाथ पर मृत बच्चे को जन्म दिया। महिला के परिवार वालों का आरोप है कि अगर उसे समय पर उपचार मिल जाता तो बच्चा बच जाता।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस प्रकरण को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को रविवार को निशाने पर लिया था।
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