MCD Election: सांप्रदायिक हिंसा के दर्द को भूल अब विकास चाहते हैं उत्तर पूर्वी दिल्ली के मतदाता
आमतौर पर साफ सफाई और दूसरी बुनियादी सुविधाओं के मुद्दों पर केंद्रित रहने वाले दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनावों में इस बार कुछ लोग उत्तर पूर्वी दिल्ली में लगभग तीन साल पहले हुई सांप्रदायिक हिंसा को भी एक मुद्दा मान रहे हैं.
नयी दिल्ली, 27 नवंबर : आमतौर पर साफ सफाई और दूसरी बुनियादी सुविधाओं के मुद्दों पर केंद्रित रहने वाले दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनावों में इस बार कुछ लोग उत्तर पूर्वी दिल्ली में लगभग तीन साल पहले हुई सांप्रदायिक हिंसा को भी एक मुद्दा मान रहे हैं.
फरवरी 2020 में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई झड़पों ने 24 फरवरी को सांप्रदायिक दंगों का रूप ले लिया था. इस हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे. दंगों में सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में शिव विहार, मुस्तफाबाद, भजनपुरा, विजय पार्क, यमुना विहार और मौजपुर रहे थे. यह भी पढ़ें : तमिलनाडु पुलिस ने कोरियर कंपनियों को खोजी कुत्ते तैनात करने का दिया निर्देश
शिव विहार के फेज़ छह में रहने वाले मोहम्मद शमीम की दुकान को दंगाइयों ने आग लगा दी थी. उन्होंने ‘पीटीआई-’ से कहा, “जो हादसा होना था, वह हो गया है, लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं है, लोग उस घटना को भूल चुके हैं. एमसीडी चुनाव में मुद्दे तो स्थानीय ही हैं. इन पर दंगों का कोई असर नहीं है, क्योंकि हमारा इलाका विकास के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है.”