लाहौर, 29 सितंबर पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी के कई शीर्ष नेता नौ मई को सरकार विरोधी हिंसा की साजिश रचने में सीधे तौर पर संलिप्त थे। यह बात एक संयुक्त जांच दल ने यहां आतंकवाद रोधी अदालत को बतायी है।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अध्यक्ष खान की गत नौ मई को भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तारी के बाद पंजाब प्रांत में हुई हिंसा की जांच के लिए एक संयुक्त जांच दल (जेआईटी) का गठन किया गया था।
समाचार पत्र ‘डॉन’ ने शुक्रवार को खबर दी कि डीआईजी (अभियान) इमरान किश्वर के नेतृत्व वाली जेआईटी ने पीटीआई नेताओं और सैकड़ों कार्यकर्ताओं के खिलाफ आरोपपत्र बृहस्पतिवार को आतंकवाद रोधी अदालत के समक्ष दाखिल किया।
खबर में कहा गया है कि लाहौर पुलिस के अनुसार, खान (70) और 9 मई के मामलों में नामजद 900 से अधिक अन्य पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को "गंभीर अपराधों का दोषी घोषित" किया गया है।
अदालत के समक्ष दायर आरोपपत्र में, अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया है कि नौ मई को संदिग्धों के नेतृत्व में हुआ हिंसक विरोध प्रदर्शन राज्य के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था।
इसमें कहा गया है, ‘‘पीटीआई अध्यक्ष के भाषणों सहित 400 से अधिक वीडियो सबूतों से साबित होता है कि छावनी क्षेत्रों में सैन्य प्रतिष्ठानों और परिसरों पर हमले पूर्व नियोजित थे।’’
पुलिस में दर्ज मामलों के अनुसार, बड़ी संख्या में पीटीआई कार्यकर्ताओं ने लाहौर में सैन्य प्रतिष्ठानों, पुलिस वाहनों और अन्य सार्वजनिक एवं निजी संपत्तियों पर हमला किया था। लाहौर कोर कमांडर हाउस (जिन्ना हाउस), अस्करी टॉवर और शादमान पुलिस थाने में तोड़फोड़ हिंसा के दौरान हुई कुछ प्रमुख घटनाएं थीं।
‘डॉन’ समाचार पत्र ने डीआईजी किश्वर के हवाले से कहा, ‘‘हमने उन्हें लाहौर के विभिन्न पुलिस थानों में आतंकवाद रोधी अधिनियम और अन्य आरोपों के तहत दर्ज कुल 14 मामलों में से 12 में मुख्य आरोपी घोषित किया है... (और) चालान एटीसी में दाखिल कर दिए गए हैं।’’
उन्होंने कहा कि जेआईटी को नामजद व्यक्तियों के खिलाफ "पर्याप्त सबूत" मिले हैं, जिनमें इमरान खान, पंजाब के पूर्व गवर्नर उमर सरफराज चीमा, पूर्व प्रांतीय मंत्री मियां महमूदुर राशिद, डॉ. यास्मीन राशिद और अन्य शामिल हैं।
डीआइजी ने कहा कि डिजिटल और फोटोग्रामेट्रिक साक्ष्यों के साथ-साथ संदिग्धों के आवाज संदेशों ने प्रांतीय राजधानी के विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज एक दर्जन से अधिक मामलों में उनके खिलाफ लगाए गए "आरोपों की पुष्टि" की है।
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार, जेआईटी रिपोर्ट में कहा गया है कि खान ने केंद्रीय, प्रांतीय और स्थानीय नेतृत्व के सहयोग से पाकिस्तान को गृहयुद्ध की ओर धकेलने के लिए यह षड्यंत्र रचा था और जनता को फर्जी और खुद की गढ़ी कहानियों के माध्यम से उकसाया था।
नौ मई को अर्धसैनिक रेंजर्स द्वारा इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद, पाकिस्तान में अशांति उत्पन्न हो गई, जिसमें रावलपिंडी में सेना मुख्यालय और फैसलाबाद में आईएसआई भवन सहित दर्जनों सैन्य और राज्य भवनों में आगजनी और तोड़फोड़ की गई।
पुलिस ने पीटीआई के 10,000 से अधिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया और 100 से अधिक पर सेना अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है।
खान ने हमलों की साजिश रचने या उकसाने से इनकार करते हुए कहा है कि यह आगामी चुनावों से उनकी पार्टी को बाहर करने की एक सुनियोजित साजिश है।
उन्होंने पिछले साल अप्रैल तक देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया और वर्तमान में लगभग 180 मामलों का सामना कर रहे हैं, जिनमें से अधिकतर 9 मई की घटनाओं से जुड़े हैं।
तोशाखाना मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद गिरफ्तारी के बाद से खान पांच अगस्त से हिरासत में हैं। वह वर्तमान में अदियाला जेल में बंद हैं।
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने 29 अगस्त को तोशाखाना मामले में उनकी सजा निलंबित कर दी थी।
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