Marital Rape: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को रुख बताने के लिए और समय देने से इनकार किया

पीठ ने कहा, "तब, हम इसे बंद कर रहे हैं... फैसला सुरक्षित रखा जाता है.’’ पीठ ने मामले को दो मार्च के लिए सूचीबद्ध किया. इस बीच, विभिन्न पक्षों के वकील अपनी लिखित दलीलें दर्ज करा सकते हैं. अदालत भारत में बलात्कार कानून के तहत पतियों को दी गई छूट को खत्म करने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

Delhi High Court (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) को अपराध घोषित करने के संबंध में अपना रुख स्पष्ट करने के लिए केंद्र (Centre) को और समय देने से सोमवार को इनकार कर दिया तथा इस संबंध में विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. केंद्र ने दलील दी कि उसने सभी राज्यों (States) और केंद्रशासित प्रदेशों (UTs) को इस मुद्दे पर उनकी राय के लिए पत्र भेजा है. केंद्र ने अदालत से अनुरोध किया कि जब तक उनकी राय नहीं मिल जाती, तब तक कार्यवाही स्थगित कर दी जाए. Marital Rape: ‘वैवाहिक बलात्कार’ पर दिल्ली हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी, कहा- गैर वैवाहिक संबंध और वैवाहिक संबंध एक जैसे नहीं

न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की पीठ ने कहा कि चल रहे मामले को स्थगित करना संभव नहीं है क्योंकि केंद्र की परामर्श प्रक्रिया कब पूरी होगी, इस संबंध में कोई निश्चित तारीख नहीं है.

पीठ ने कहा, "तब, हम इसे बंद कर रहे हैं... फैसला सुरक्षित रखा जाता है.’’ पीठ ने मामले को दो मार्च के लिए सूचीबद्ध किया. इस बीच, विभिन्न पक्षों के वकील अपनी लिखित दलीलें दर्ज करा सकते हैं.

अदालत भारत में बलात्कार कानून के तहत पतियों को दी गई छूट को खत्म करने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

उच्च न्यायालय ने सात फरवरी को केंद्र को अपना पक्ष रखने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था. केंद्र ने एक हलफनामा दायर कर अदालत से याचिकाओं पर सुनवाई टालने का आग्रह किया था. केंद्र ने कहा था कि राज्य सरकारों सहित विभिन्न पक्षों के साथ सार्थक परामर्श प्रक्रिया की आवश्यकता है.

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