नयी दिल्ली, आठ अप्रैल दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि सुनवाई का अवसर दिए बिना वैवाहिक विवाद के कारण किसी व्यक्ति का पासपोर्ट रद्द नहीं किया जा सकता।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि पासपोर्ट रद्द किया जाना एक कठोर कदम है और प्रभावित व्यक्ति का पक्ष सुने बगैर ऐसा नहीं किया जा सकता।
अदालत ने यह टिप्पणी उस व्यक्ति की याचिका पर की, जिसने उसके पासपोर्ट को रद्द करने के मई 2020 के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।
अदालत ने केंद्र से कहा, '' एक वैवाहिक विवाद उसके पासपोर्ट को हमेशा के लिए नहीं रोक सकता है। यह केवल एक वैवाहिक झगड़ा है। आप उसका पासपोर्ट बहाल क्यों नहीं करते? आप लोग जो कर रहे हैं, वो बेहद गलत है। आप किसी का पक्ष क्यों ले रहे हैं? ''
केंद्र ने दलील दी कि एक बार पासपोर्ट रद्द होने की सूरत में इसे दोबारा बहाल नहीं किया जा सकता और याचिकाकर्ता को नए पासपोर्ट के लिए फिर से आवेदन करना पड़ेगा।
वहीं, याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसे पूर्व में ना ही कोई नोटिस दिया गया और ना ही अपना पक्ष रखने के लिए अवसर दिया गया।
हालांकि, केंद्र ने कहा कि याचिकाकर्ता को अमेरिका के ह्यूसटन में भारतीय मिशन के समक्ष अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया था।
इस पर अदालत ने विदेश मंत्रालय से एक हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि पासपोर्ट रद्द किए जाने से पहले क्या याचिकाकर्ता को भारतीय मिशन के सामने अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया था या नहीं?
अदालत ने 23 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई तय की।
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