इंफाल, 16 मई: पुष्पा करम (15) को डर है कि वह अगले साल 10वीं कक्षा की परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाएगी. मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में तोरबंग बांग्ला इलाके में हाल में हुई जातीय हिंसा में उनका घर जला दिया गया. करम ने 42 अन्य स्कूली छात्रों एवं उनके परिवार के साथ पड़ोसी बिष्णुपुर जिले के कुनबी इलाके में राहत शिविर में शरण ली है. अब वह गणित और अंग्रेजी के ट्यूशन नहीं ले पा रही है. यह भी पढ़ें: Manipur Violence: सीएम एकनाथ शिंदे ने मणिपुर में फंसे महाराष्ट्र के छात्रों से फोन पर की बात, देखें VIDEO
करम ने कहा, ‘‘मुझे डर है कि मैं अगले साल 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाऊंगी जिससे इंफाल में अच्छे स्कूल में दाखिला लेने के मेरे सपने संभवत: प्रभावित हो सकते हैं.’’ अधिकारियों ने बताया कि करम उन 4,000 स्कूली छात्रों में से एक है जो मणिपुर में हालिया जातीय हिंसा से प्रभावित हैं. इनमें से चुराचांदपुर और पड़ोसी बिष्णुपुर जिले के प्रभावित इलाकों के करीब 1,000 लोग बेघर हो गए हैं जबकि शेष इंफाल पूर्वी जिले और मोरेह शहर से हैं.
छात्रों को डर है कि उन्हें शायद एक अकादमिक वर्ष छोड़ना पड़ सकता है क्योंकि प्रभावित इलाकों में वे अपने स्कूल नहीं लौट पाएंगे जबकि उनके माता-पिता की तात्कालिक चिंता रहने के लिए एक स्थायी ठिकाने का इंतजाम है. चुराचांदपुर के डॉन बॉस्को स्कूल की छात्रा 15 वर्षीय अनु इरोम चानू ने कहा, ‘‘मेरी किताबें, अध्ययन सामग्री और यहां तक कि स्कूल के सभी दस्तावेज मेरे घर में थे, जो जल गए। मेरे पिता कहते हैं कि हम अब चुराचांदपुर नहीं लौट सकते. मुझे नहीं पता कि मैं स्कूल कहां जाऊंगी.’’ उसने अपने परिवार के साथ पड़ोसी बिष्णुपुर जिले के मोइरांग में एक सामुदायिक भवन में शरण ली है.
चुराचांदपुर के तोरबंग बांग्ला क्षेत्र के 17 वर्षीय नमोइजाम तोम्बा सिंह ने कहा कि अपने स्कूली वर्ष के अंत में एक प्रतिष्ठित पाठ्यक्रम में दाखिला लेने या नौकरी करने की संभावना अब कम हो गई है. सिंह के माता-पिता दैनिक मजदूरी करते हैं. उसने कहा, ‘‘मेरे अकादमिक वर्ष को लेकर उहापोह की स्थिति है, साथ ही हम कहां रहेंगे इसे लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है। मैं वाकई में नहीं जानता कि मैं राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) प्रवेश परीक्षा, मर्चेंट नेवी इत्यादि जैसी विभिन्न परीक्षाओं के लिए कैसे तैयारी करूंगा जिनमें मैं बैठना चाहता था.’’
अधिकारियों ने बताया कि पूर्वोत्तर के इस राज्य में हाल में हुई इस जातीय हिंसा में कम से कम 73 लोगों की मौत हुई है, 231 लोग घायल हुए हैं और धार्मिक स्थानों समेत 1,700 मकानों को जला दिया गया है. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे के लिए मैतेई समुदाय की मांग के खिलाफ तीन मई को जिले में प्रदर्शन के तहत ‘जनजातीय एकता मार्च’ के आयोजन के बाद हिंसा भड़क उठी थी.
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