मणिपुर में किशोरों के लापता होने का मामला, सीबीआई ने पांच आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दो मणिपुरी छात्रों के लापता होने के मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ दो अलग-अलग आरोपपत्र दाखिल किए हैं, जिनके राज्य में जातीय हिंसा के दौरान मारे जाने की आशंका थी। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

CBI Photo Credits: IANS

नयी दिल्ली, 2 जनवरी: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दो मणिपुरी छात्रों के लापता होने के मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ दो अलग-अलग आरोपपत्र दाखिल किए हैं, जिनके राज्य में जातीय हिंसा के दौरान मारे जाने की आशंका थी. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. तस्वीरें 25 सितंबर, 2023 को सामने आयी थीं, जिनमें कथित तौर पर शवों को दिखाया गया है. इन तस्वीरों लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ जो मुख्य रूप से छात्रों द्वारा किये गए. हालांकि, सीबीआई को अभी तक शव नहीं मिले हैं.

एजेंसी ने आरोपपत्र कामरूप में एक निर्दिष्ट विशेष अदालत के समक्ष परस्पर जुड़े मामलों में दाखिल किया, जिसमें उनके लापता होने से पहले की घटनाओं का क्रमवार ब्योरा दिया गया है. एजेंसी ने कहा कि छह जुलाई, 2023 को लड़का लड़की की ट्यूशन क्लास में गया और उसे अपनी बाइक पर लेने के बाद, बिष्णुपुर की ओर बढ़ा और वहां से पुराने कछार रोड पर थास व्यू पॉइंट एरिया चला गया.

सीबीआई प्रवक्ता ने कहा कि लोगों के एक समूह ने उन्हें रोक लिया और उन पांच आरोपियों ने उन्हें बंधक बना लिया और उन्हें जबरन एक वाहन में डाला और एक अज्ञात स्थान पर ले गए जहां उनकी "संदिग्ध रूप से हत्या" कर दी गई. इन पांच आरोपियों का उल्लेख आरोपपत्र में किया गया है.

इन पांच आरोपियों में, पाओलुनमंग को पुणे से गिरफ्तार किया गया था, पाओमिनलुन हाओकिप, स्मालसावम हाओकिप और लिंगनेइचोंग बैतेकुकी को चुराचांदपुर जिले के हेंगलेप इलाके से गिरफ्तार किया गया था और नोहगिन बैतेकुकी अभी भी फरार है. लापता किशोरों के माता-पिता ने क्रमशः 8 जुलाई और 19 जुलाई को इंफाल पुलिस और लाम्फेल पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. लड़की के पिता ने आरोप लगाया था कि हो सकता है कि विवाह के इरादे से उनकी बेटी का अपहरण किया गया हो, जबकि लड़के के पिता ने अपने बेटे के अपहरण की आशंका जतायी थी.

प्रवक्ता ने कहा, "सीबीआई ने दोनों मामलों में पांच आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है। आगे की जांच की जा रही है."

अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के बाद तीन मई को मणिपुर में हुई जातीय झड़पों में 180 से अधिक लोगों की जान चली गई और कई सौ लोग घायल हो गए.

मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी - नगा और कुकी - 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

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