जयपुर, 25 दिसंबर जयपुर के झालना तेंदुआ अभयारण्य समेत दो जंगलों में तेंदुओं की आबादी बढ़ने से शहरी इलाकों में इंसान-जानवर टकराव की घटनाएं आए दिन बढ़ गयी है।
तेंदुओं की संख्या 2022 में बढ़कर 40 हो गयी है जो 2012 में 12 थी। यह एक दशक में 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है। तेंदुओं की आबादी में वृद्धि वन्यजीव प्रेमियों के लिए खुशखबरी है लेकिन इसने आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि तेंदुआ अक्सर शहर के आबादी वाले इलाकों में घुस जाता है।
विशेषज्ञों ने कहा कि जंगलों में शिकार आधार बढ़ाने से तेंदुओं को उनके प्राकृतिक पर्यावास में रखने में मदद मिलेगी क्योंकि अक्सर वे भोजन की तलाश में या कम जगह होने के कारण दूरदराज के इलाकों में निकल पड़ते हैं।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ वर्ष में झालना अभयारण्य में संरक्षण कार्यों के कारण तेंदुओं की तादाद सबसे ज्यादा बढ़ी है। इस वन में अब कई तेंदुए हैं।
झालना तेंदुआ अभयारण्य में रेंजर जनेश्वर चौधरी ने कहा, ‘‘ताजा आंकड़ों के अनुसार, जयपुर में झालना तेंदुआ अभयारण्य और अंबागढ़ तेंदुआ अभयारण्य में 40 तेंदुए हैं।’’
झालना के बाद जयपुर में अंबागढ़ दूसरा तेंदुआ संरक्षण है। दोनों मिलाकर 36 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हैं और उन्हें जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग अलग करता है। दोनों में से 20 वर्ग किलोमीटर अधिक क्षेत्र के साथ झालना ज्यादा बड़ा और पुराना तेंदुआ संरक्षण क्षेत्र है जहां 40 में से ज्यादातर तेंदुए रहते हैं।
चौधरी ने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘राज्य में झालना में तेंदुओं की संख्या में वृद्धि सबसे अधिक है। इसकी मुख्य वजह सुरक्षात्मक माहौल और प्रभावी निगरानी है।’’
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