देश की खबरें | ममता ने बलात्कार रोधी निष्प्रभावी कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री का इस्तीफा मांगा

कोलकाता, तीन सितंबर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों का इस्तीफा मांगा, जो ‘‘महिलाओं की रक्षा के लिए प्रभावी कानून लागू नहीं कर पाए हैं।’’

‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) 2024’ पेश किए जाने के बाद ममता ने विधानसभा में कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य त्वरित जांच, त्वरित न्याय प्रदान करना और दोषी की सजा बढ़ाना है।

उन्होंने कहा, ‘‘बलात्कार मानवता के खिलाफ अभिशाप है और ऐसे अपराधों को रोकने के लिए सामाजिक सुधारों की जरूरत है।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के बाद हम यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस में विशेष अपराजिता कार्य बल गठित करेंगे कि बलात्कार के मामलों में जांच समयबद्ध तरीके से पूरी हो।

ममता ने इस विधेयक को ‘‘ऐतिहासिक तथा अन्य राज्यों के लिए आदर्श’’ बताते हुए कहा कि इस प्रस्तावित विधेयक के जरिए उनकी सरकार ने पीड़िता तथा उनके परिजन को त्वरित एवं प्रभावी न्याय उपलब्ध कराने के लिहाज से केंद्रीय कानून में मौजूद कमियों को दूर करने का प्रयास किया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगते हुए नारे लगाने पर ममता ने कहा, ‘‘क्या होगा अगर मैं उन्हीं कारणों से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के खिलाफ नारे लगाऊं जिनके लिए आप मेरे खिलाफ नारे लगा रहे हैं।’’

उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर असामान्य रूप से अधिक है जबकि पश्चिम बंगाल में प्रताड़ित महिलाओं को अदालत में न्याय मिल रहा है।

ममता ने आरोप लगाया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) पारित किए जाने से पहले पश्चिम बंगाल से विचार-विमर्श नहीं किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘हम केंद्र में नयी सरकार बनने के बाद इस पर चर्चा चाहते थे।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष राज्यपाल से कहे कि वह बिना किसी देरी के इस विधेयक पर हस्ताक्षर करें। उन्होंने कहा कि इसका प्रभावी क्रियान्वयन राज्य सरकारी की जिम्मेदारी होगी।

ममता ने आरजी कर अस्पताल की प्रशिक्षु चिकित्सक के कथित बलात्कार और हत्या पर दुख जताते हुए कहा, ‘‘हम सीबीआई से न्याय चाहते हैं और दोषी के लिए फांसी चाहते हैं।’’

सदन में थोड़े हंगामे के बाद इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।

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