नयी दिल्ली, 19 जून मलेशिया एक्सचेंज के मजबूत रहने तथा सरकार के प्रमुख खरीफ तिलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी किये जाने के बीच बुधवार को देश के अधिकांश तेल-तिलहन के दाम मजबूत बंद हुए। मूंगफली के एमएसपी में वृद्धि के बावजूद इसके भाव पूर्वस्तर पर ही बने रहे क्योंकि और महंगा होने की वजह से इसके खपने की चिंता बनी रहेगी।
शिकॉगो एक्सचेंज में आज छुट्टी है और मलेशिया एक्सचेंज में अच्छा सुधार है।
सूत्रों ने कहा कि मुख्यत: मलेशिया एक्सचेंज में सुधार की वजह से तेल तिलहन कीमतों में सुधार आया। वैसे सरकार ने प्रमुख खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की है और खरीफ तिलहन फसलों के एमएसपी भी बढ़ाये हैं।
मंत्रिमंडल की बैठक में सोयाबीन का एमएसपी पहले के 4,600 रुपये से बढ़ाकर 4,892 रुपये क्विन्टल, सूरजमुखी का एमएसपी 6,760 रुपये से बढ़ाकर 7,280 रुपये क्विन्टल, मूंगफली का एमएसपी पहले के 6,377 रुपये से बढ़ाकर 6,783 रुपये क्विंटल किया गया है। इसी प्रकार कपास के दो किस्मों के एमएसपी में भी पहले के मुकाबले 501-501 रुपये की वृद्धि की गई है।
तिलहन फसलों के एमएसपी में हुई वृद्धि का सही असर कल के कारोबार में दिखने के आसार हैं।
इस बीच, भारतीय कपास संघ (सीएआई) ने कहा है कि उत्तर भारत में कपास की खेती लगभग पूरी हो चुकी है। पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में कीटों के हमले और अधिक उत्पादन लागत के कारण इस बार किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
सीएआई ने पिछले साल की तुलना में इस बार कपास खेती के रकबे में गिरावट रहने का अनुमान जताया है। कपास से निकलने वाले बिनौले से बहुत कम मात्रा में (8-10 प्रतिशत) खाद्यतेल निकलता है लेकिन कपास की बिजाई किसान इससे निकलने वाले खल की बिक्री से होने वाले फायदे को लेकर करते हैं।
सूत्रों ने कहा कि अचार बनाने वाले कंपनियों की ओर से सरसों की मांग निकली है लेकिन किसान अब वायदा कारोबार न होने की वजह से अपनी मर्जी से फसल बेच रहे हैं। किसान किसी भी हालत में नीचे दाम पर बिकवाली को राजी नहीं दिख रहे। इस वजह से सरसों तेल तिलहन कीमतों में सुधार है। मलेशिया एक्सचेंज मजबूत रहने से सीपीओ और पामोलीन तेल में सुधार है। एमएसपी वृद्धि की खबरों के बीच सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में भी सुधार रहा।
उन्होंने कहा कि जब तक देशी तेल तिलहन का बाजार नहीं बनेगा तब तक एमएसपी वृद्धि जैसे कदमों से स्थिति में कोई बदलाव नहीं आयेगा। देशी तमाम तिलहन फसलें पिछले एमएसपी पर ही बाजार में नहीं खप रहे हैं तो बढ़े हुए एमएसपी पर इसके खपने की कल्पना करना भी अन्याय है।
सस्ते खाद्यतेलों के आयात जैसे कदम केवल खाद्यतेलों के थोक दाम में ही नरमी ला पाये लेकिन ऊंचे अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) निर्धारण जैसे उपायों के कारण खुदरा बाजार में खाद्यतेलों के दाम गर्म बने हुए हैं। इस ओर ध्यान देने की जरुरत है।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 6,000-6,060 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,100-6,375 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,600 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,210-2,510 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 11,550 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,875-1,975 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,875-2,000 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,450 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,875 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,775 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,875 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,925 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,700-4,720 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,510-4,630 रुपये प्रति क्विंटल।
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