देश की खबरें | महाराष्ट्र सरकार ओबीसी आरक्षण संग निकाय चुनाव कराने या स्थगित करने का आयोग से आग्रह करेगी

मुंबई, 15 दिसंबर महाराष्ट्र कैबिनेट ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आंकड़े एकत्र किए जाने तक स्थानीय निकायों के लिए 21 दिसंबर को होने वाले चुनावों को टालने को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग से संपर्क करने का बुधवार को फैसला किया।

इससे कुछ ही घंटों पहले, उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को महाराष्ट्र के राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को स्थानीय निकाय में 27 प्रतिशत सीटों को सामान्य श्रेणी के रूप में अधिसूचित करने का निर्देश दिया, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित थीं, ताकि चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।

महाराष्ट्र के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने कैबिनेट बैठक में भाग लेने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘स्थानीय निकाय चुनाव यदि निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होते हैं, तो वे ओबीसी राजनीतिक आरक्षण के साथ आयोजित किए जाने चाहिए और यदि ऐसा नहीं होता है, तो उन्हें ओबीसी संबंधी आंकड़े एकत्र किए जाने तक के लिए स्थगित कर दिया जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि एसबीसीसी के साथ समन्वय करने के लिए सचिव स्तर के एक अधिकारी को विशेष रूप से नियुक्त किया जाना चाहिए, ताकि आंकड़ों का संग्रह जल्द से जल्द पूरा हो सके। राज्य विधानमंडल के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश की जाने वाली अनुपूरक मांगों में इस उद्देश्य के लिए बजटीय आवंटन को मंजूरी दी जाएगी।

इससे पहले, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार की पीठ ने एसईसी को एक सप्ताह के भीतर 27 प्रतिशत सीटों के लिए नए सिरे से अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया है। पीठ पिछले सप्ताह के आदेश में संशोधन के अनुरोध को लेकर दायर महाराष्ट्र सरकार की अर्जी पर सुनवाई कर रही थी।

न्यायालय ने ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण पर अगले आदेश तक महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों पर छह दिसंबर को रोक लगा दी थी। न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि अन्य सीटों के लिये चुनाव प्रक्रिया जारी रहेगी।

पीठ ने कहा, ‘‘दूसरे शब्दों में, एसईसी को सामान्य वर्ग के रूप में ओबीसी के लिए आरक्षित 27 प्रतिशत सीटों के लिए तुरंत नई अधिसूचना जारी करनी चाहिए और चुनाव प्रक्रिया के साथ इन सीटों के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए, जो पहले से ही संबंधित स्थानीय निकाय में शेष 73 प्रतिशत सीटों के लिए जारी है।’’

उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया था। इन याचिकाओं में से एक में कहा गया है कि एक अध्यादेश के माध्यम से शामिल/संशोधित प्रावधान समूचे महाराष्ट्र में संबंधित स्थानीय निकायों में पिछड़े वर्ग के नागरिकों के लिये समान रूप से 27 प्रतिशत आरक्षण की इजाजत देते हैं।

पीठ ने बुधवार को पारित अपने आदेश में कहा कि इस संबंध में 6 दिसंबर के आदेश को संशोधित करने का कोई कारण नहीं है। हालांकि, इसने कहा कि अंतराल को अनिश्चितकाल तक जारी नहीं रखा जा सकता है।

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